Safai Ki Ahamiyyat

Book Name:Safai Ki Ahamiyyat

तक्लीफ़ से गुज़रता है, इस का ह़ाल वोही बता सकता है जिस पर येह गुज़री हो । आइए ! इस बारे में दिल थाम कर एक लरज़ा ख़ेज़ वाक़िआ़ सुनिए और इ़ब्रत ह़ासिल कीजिए । चुनान्चे,

अफ़्सोस नाक ह़ादिसा

          एक मरतबा शहरे मुर्शिद के अ़लाके़ में रात के वक़्त कचरे के ढेर में लगने वाली आग के धुवें ने एक रिहाइशी इ़मारत की पेहली मन्ज़िल को अपनी लपेट में ले लिया, जिस के नतीजे में दम घुटने से 7 साला आमिना, 3 साला अयान और एक साला अ़ब्दुल अ़ज़ीज़ ज़िन्दगी की बाज़ी हार कर मौत की वादी में चले गए जबकि बच्चों की वालिदा को तश्वीश नाक ह़ालत में I.C.U में दाख़िल किया गया । अल्लाह करीम लवाह़िक़ीन को सब्रे जमील और इस पर सवाबे अ़ज़ीम अ़त़ा फ़रमाए, (اٰمِیْن) । कचरे के ढेर में आग किसी ने जानबूझ कर लगाई या किसी की ग़लत़ी की वज्ह से भड़क उठी, बहर ह़ाल एक ख़ानदान पर सदमों के पहाड़ टूट पड़े, तीन नन्ही मुस्कुराती कलियां मुरझा गईं और ख़ुशियों भरे घर में उदासियों ने बसेरा कर लिया ।

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!                                      صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

          प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! नबिय्ये करीम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم ने इरशाद फ़रमाया : जो लिबास तुम पेहनते हो, उसे साफ़ सुथरा रखो और अपनी सुवारियों की देखभाल किया करो और तुम्हारी ज़ाहिरी ह़ालत ऐसी साफ़ सुथरी हो कि जब लोगों में जाओ, तो वोह तुम्हारी इ़ज़्ज़त करें । (جامع صغیر،ص۲۲،حدیث: ۲۵۷)

          याद रहे ! अपनी ज़िम्मेदारी को पूरा न करने वाला शख़्स क़ुसूरवार होता है लेकिन ऐसे ह़ादिसात की रोकथाम करने के लिए हमारी भी अख़्लाक़ी ज़िम्मेदारी बनती है कि हम न सिर्फ़ अपने आप को बल्कि अपने घर, दुकान, मह़ल्ले और अ़लाके़ को साफ़ सुथरा रखने की कोशिश करें । अपना घर साफ़ रखने के लिए गली में कचरा न फैलाएं, गली को साफ़ रखने के लिए चौक को कचरा कून्डी न बनाएं । हर अ़क़्ल रखने वाला इस बात से इत्तिफ़ाक़ करेगा, तो फिर क्या वज्ह है कि हम रोज़ाना कचरे के ढेर में इज़ाफ़ा कर देते हैं ? कोई नहीं रुकता ? हम ख़ुद तो रुक जाएं और कचरा वहां डालें जहां इन्तिज़ामिया ने जगह मख़्सूस की हो । क्या येह फ़रयाद इस क़ाबिल नहीं कि इस पर ग़ौर किया जाए ? ज़रा सोचिए ! (माहनामा फै़ज़ाने मदीना, फ़रवरी 2017, मुलख़्ख़सन)

नेक अ़मल नम्बर 43 की तरग़ीब

          ऐ आ़शिक़ाने रसूल ! आइए ! देर मत कीजिए ! आज बल्कि अभी से आ़शिक़ाने रसूल की दीनी तह़रीक दावते इस्लामी से वाबस्ता हो जाइए और सफ़ाई, सुथराई की आ़दत पर इस्तिक़ामत पाने के लिए अमीरे अहले सुन्नत के अ़त़ा कर्दा "72 नेक आमाल" नामी रिसाले को मक्तबतुल मदीना से ह़ासिल कीजिए । اَلْحَمْدُ لِلّٰہ 72 नेक आमाल में सफ़ाई की आ़दत बनाने के लिए एक नेक अ़मल शामिल है । चुनान्चे,

          नेक अ़मल नम्बर 43 है : क्या आप सफ़ाई, सुथराई के आ़दी और सलीक़ा मन्द हैं ? (सफ़ाई, सुथराई : यानी बदन व लिबास, घर और जहां काम करते हैं, वोह जगह और वहां की अश्या साफ़