Safai Ki Ahamiyyat

Book Name:Safai Ki Ahamiyyat

से खाने से आलूदा मक़ामात पर जरासीम पैदा होते और बढ़ते रेहते हैं, यूं बीमारियां फैल सकती हैं । लिहाज़ा आ़फ़िय्यत इसी में है कि खाने से पेहले और बाद हाथ, मुंह धोने की आ़दत बनाई जाए । हां ! सवाब इस पर तब ही मिलेगा कि जब सुन्नत पर अ़मल करने की निय्यत भी होगी । अल्लाह पाक अ़मल की तौफ़ीक़ अ़त़ा फ़रमाए ।

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!       صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

          प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! सफ़ाई, सुथराई बेहतरीन आ़दत है, अमीर हो या ग़रीब, तन्दुरुस्ती हो या बीमारी हर ह़ाल में सफ़ाई, सुथराई इन्सान की इ़ज़्ज़तो वक़ार की मुह़ाफ़िज़ है । दीने इस्लाम ने जहां इन्सान को कुफ़्रो शिर्क की नजासतों से पाक कर के इ़ज़्ज़तो बुलन्दी अ़त़ा की है, वहीं ज़ाहिरी पाकीज़गी, सफ़ाई, सुथराई की आला तालीमात के ज़रीए़ इन्सानिय्यत का वक़ार भी बुलन्द किया है । बदन की पाकीज़गी हो या लिबास की सफ़ाई, ज़ाहिरी शक्लो सूरत की उ़म्दगी हो या त़ौर त़रीके़ की अच्छाई, मकान और साज़ो सामान की बेहतरी हो या सुवारी की धुलाई, अल ग़रज़ ! हर हर चीज़ को साफ़ सुथरा रखने की दीने इस्लाम में तालीम और तरग़ीब दी गई है । ख़ुद हमारे प्यारे आक़ा, मदीने वाले मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم नज़ाफ़त व पाकीज़गी में अपनी मिसाल आप थे । कई कुतुब में येह बात मिलती है कि आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم के मुबारक जिस्म से ख़ुश्बू आया करती । मुबारक पसीना ख़ुश्बूदार था ।

          मक्तबतुल मदीना की किताब "सीरते रसूले अ़रबी" के सफ़ह़ा नम्बर 281 और 282 पर है : आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم अपनी मुबारक दाढ़ी में कंघी करते, आईना देखते, सोने से पेहले आंखों में सुरमा डालते, मूंछ मुबारक कटवाया करते, बाल मुबारक भी तरश्वाते, अगर मूए (बाल) मुबारक ख़ुद बख़ुद फैल जाते, तो आप उन को दो ह़िस्से बत़ौरे मांग कर लेते, आप ब तकल्लुफ़ मांग न निकालते, आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم के मुबारक जिस्म की नज़ाफ़त ही थी कि कभी बदने मुबारक और कपड़ों पर मख्खी न बैठी । (الشفاءبتعریف حقوق المصطفٰی فصل ومن ذالک ماظہر من الآیات عند مولدہ ،۱ /۳۶۸)

          उम्मुल मोमिनीन, ह़ज़रते सय्यिदतुना आ़इशा सिद्दीक़ा رَضِیَ اللّٰہُ عَنْھَا फ़रमाती हैं : मेरे पास दो आ़लम के ताजदार صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم तशरीफ़ लाए और फ़रमाया : ऐ आ़इशा ! इन दो चादरों को धो लो ! मैं ने अ़र्ज़ की : या रसूलल्लाह صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم ! कल ही तो मैं ने धोई थीं । फ़रमाया : क्या तुम नहीं जानतीं कि कपड़ा भी तस्बीह़ (यानी अल्लाह पाक की पाकी बयान) करता है और जब मैला हो जाता है, तो उस का तस्बीह़ करना रुक जाता है । (تاریخِ بغدادج۹ ص۲۴۵)

          प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! नबिय्ये पाक صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم की मुबारक ज़िन्दगी के येह पहलू हमें दावत दे रहे हैं कि हम भी सफ़ाई, सुथराई का ख़ास ख़याल रखें । क़ुरआने पाक में भी साफ़ सुथरा रेहने की तरग़ीब मौजूद है । चुनान्चे, इरशादे बारी है :

सुथरे लोग अल्लाह करीम को पसन्द हैं

اِنَّ اللّٰهَ یُحِبُّ التَّوَّابِیْنَ وَ یُحِبُّ الْمُتَطَهِّرِیْنَ(۲۲۲) )   پ۲،البقرہ:۲۲۲(