Safai Ki Ahamiyyat

Book Name:Safai Ki Ahamiyyat

येह भी ख़ास ताकीद है कि यहां बताया हुवा कोई भी नुस्ख़ा अपने त़बीब से मश्वरा किए बिग़ैर इस्तिमाल न किया जाए, अगर्चे येह नुस्ख़ा उसी बीमारी के लिए हो जिस से आप दोचार हों । इस की बुन्यादी वज्ह येह है कि लोगों की त़बई़ कैफ़िय्यात जुदा जुदा होती हैं, एक ही दवा किसी के लिए आबे ह़यात का काम दिखाती है, तो किसी के लिए मौत का पयाम लाती है । लिहाज़ा आप की जिस्मानी कैफ़िय्यात से वाक़िफ़, आप का मख़्सूस त़बीब ही बेहतर त़ै कर सकता है कि आप को कौन सा नुस्ख़ा मुवाफ़िक़ हो सकता है और कौन सा नहीं क्यूंकि कि इ़लाज के त़रीके़ बयान करना और है जबकि किसी ख़ास मरीज़ का इ़लाज करना और । (घरेलू इ़लाज, स. 4)

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!                                      صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد