Book Name:Safai Ki Ahamiyyat
जब वोह इ़बादत करेगा, तो इस में भी उस को लज़्ज़त आएगी और ख़ुशूअ़ व ख़ुज़ूअ़ ह़ासिल होगा । यूंही जब आदमी का ज़ाहिर साफ़ होता है, तो इस का असर उस के बात़िन पर भी पड़ता है क्यूंकि इन दोनों का आपस में तअ़ल्लुक़ होता है नीज़ आदमी ग़ौर करे कि साफ़ सुथरा शख़्स उसे कितना पसन्द आता है, ऐसे शख़्स के साथ रेहना, उस के क़रीब बैठना किस क़दर अच्छा लगता है फिर त़बीअ़तों का भी मैलान होता है, साफ़ सुथरा आदमी, साफ़ सुथरे लोगों में बैठता है । जैसा कि मिसाल बयान की जाती है कि اَلْجِنْسُ یَمِیْلُ اِلٰی جِنْسِہٖ हर जिन्स अपनी जिन्स की त़रफ़ माइल होती है । चुनान्चे,
एक मरतबा कव्वे और कबूतर में दोस्ती हो गई, एक शख़्स ने जब येह देखा, तो सोचा कि कबूतर और कव्वे का क्या मिलाप ! येह दोनों तो अलग अलग हैं, आख़िर कबूतर और कव्वे की एक दूसरे के साथ दोस्ती कैसे हो गई ? चुनान्चे, उस ने ग़ौर किया, तो पता चला कि कबूतर भी लंगड़ा था और कव्वा भी, दोनों को उन की एक जैसी सिफ़त ने दोस्त बना दिया ।
एक मरतबा जालीनूस (यूनान का मश्हूर त़बीब) कहीं जा रहा था, एक पागल शख़्स उस के क़रीब आया और उस के साथ बैठ कर बातें करने लगा । जालीनूस गया और अपने ख़ादिम को केहने लगा कि फ़ुलां माजून (दवाई) ले आओ, मैं उसे खाऊंगा । ख़ादिम ने अ़र्ज़ की : येह आप के खाने का नहीं । जालीनूस केहने लगा : मैं तो येही माजून खाऊंगा । ख़ादिम ने कहा : येह माजून आप नहीं खा सकते, येह पागलों के लिए है । जालीनूस ने कहा : अगर मैं पागल नहीं हूं, तो वोह पागल मेरे नज़दीक आया क्यूं ? यक़ीनन मेरे अन्दर कोई ऐसी चीज़ होगी, जभी तो वोह मेरे क़रीब आया !
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد
ऐ आ़शिक़ाने रसूल ! येह वाक़िआ़त समझाने के लिए हैं कि सफ़ाई, सुथराई, ख़ुश्बू, नज़ाफ़त व पाकीज़गी अगर हमारी त़बीअ़तों का ह़िस्सा होगी, तो हमारे क़रीब भी ऐसे ही लोग होंगे । ٭ लिहाज़ा जब भी खाना खाया जाए, तो याद कर के अच्छी अच्छी निय्यतों के साथ खाने का वुज़ू ज़रूर कर लेना चाहिए । ٭ खाने के वुज़ू से मुराद अच्छी त़रह़ हाथ और मुंह का अगला ह़िस्सा धोना है । ٭ कुल्ली भी कर ली जाए, इस लिए कि हम रोज़ाना इन हाथों से कई काम करते हैं, जिस के सबब मैल कुचैल, बे शुमार जरासीम (Germs) हमारे हाथों से चिमट जाते हैं । اَلْحَمْدُ لِلّٰہ खाने का वुज़ू करने की बरकत से न सिर्फ़ हमारे हाथ, मुंह वग़ैरा की सफ़ाई हो जाती है बल्कि हमें कई बीमारियों और जरासीम से भी तह़फ़्फ़ुज़ (Protection) ह़ासिल हो जाता है । अह़ादीसे मुबारका में इस की तरग़ीबें भी मौजूद हैं । आइए ! तरग़ीब के लिए 5 फ़रामीने मुस्त़फ़ा सुनते हैं । चुनान्चे,