Book Name:Safai Ki Ahamiyyat
चाहिए । (घरेलू इ़लाज, स. 11) ٭ दवाओं के ज़रीए़ इ़लाज से सेह़त पाने के बाद बदने इन्सानी भी गोया "धुले हुवे कपड़े" की त़रह़ हो जाता है, लिहाज़ा मुमकिना सूरत में दवाओं के बजाए ग़िज़ा से इ़लाज करना नीज़ परहेज़ के ज़रीए़ काम चलाना ही समझदारी है कि दवाओं के मन्फ़ी असरात भी होते हैं । (मदनी मुज़ाकरा, केसेट नम्बर : 41) ٭ जो अपने बुढ़ापे को सुखी देखना चाहता है, तो उसे चाहिए कि जवानी से ही चीनी, मैदा और चिक्नाहट वाली चीज़ें कम इस्तिमाल करे, वरना येह चीज़ें ख़ून में मुख़्तलिफ़ बीमारियां पैदा करती हैं, जो बिल आख़िर शूगर, फ़ालिज और दिल के अमराज़ की सूरत में सामने आती हैं । (मदनी मुज़ाकरा, केसेट नम्बर : 253) ٭ मज़ीद फ़रमाते हैं : खाने, पीने में मीठे का ज़ियादा इस्तिमाल भी ज़ियाबीत़स (शूगर) का सबब बनता है नीज़ चाय, कोल्ड ड्रिंक और आइस्क्रीम वग़ैरा मेदे में उन्डेलते रेहने वालों का शूगर से बचना बहुत मुश्किल है । लिहाज़ा ज़ियादा मीठा खाने से परहेज़ करना चाहिए और रोज़ाना कम अज़ कम आधा घन्टा पैदल चलने की आ़दत रखना भी शूगर और दूसरे कई मोहलिक अमराज़ से तह़फ़्फ़ुज़ का ज़रीआ़ है । वोह लोग जो बैठ कर लिखने, पढ़ने या दफ़्तरी काम काज करने, पैदल चलने के बजाए सिर्फ़ स्कूटर या कार वग़ैरा में सफ़र करने के आ़दी होते हैं, तो वोह बहुत जल्द शूगर और दीगर मोहलिक अमराज़ का शिकार हो सकते हैं । लिहाज़ा परहेज़ के साथ साथ हल्की फुल्की वर्ज़िश की आ़दत हो, तो उम्मीद है काफ़ी बेहतरी होगी । (मदनी मुज़ाकरा, केसेट नम्बर : 38) ٭ हमारे मुआ़शरे में सिगरेट, पान, गुटका और दीगर कई सेह़त को नुक़्सान पहुंचाने वाली चीज़ों की कसरत है, नादान लोग इन चीज़ों पर माहाना हज़ारों रुपये ख़र्च करते और नतीजे में कैन्सर जैसे तक्लीफ़ देने वाले मरज़ को गले लगा लेते हैं । एक डॉक्टर के बयान के मुत़ाबिक़ गुर्दे में 80 फ़ीसद पथरी छालिया के सबब होती है । مَعَاذَ اللہ गुर्दा नाकारा हो जाना या उस में कैन्सर हो जाना भी पान, गुटके के कसरते इस्तिमाल के नुक़्सानात में से है । (मदनी मुज़ाकरा, केसेट नम्बर : 97) ٭ रात देर तक जागना सेह़त के लिए नुक़्सान देह हो सकता है कि दुन्या का उसूल "दिन काम और रात आराम" का है, जब इस उसूल को तोड़ेंगे, तो सेह़त बरबाद होगी और नींद कम होने के सबब नफ़्सियाती अमराज़ का सामना भी हो सकता है । (मदनी मुज़ाकरा, केसेट नम्बर : 23, माख़ूज़न) ٭ बलग़म और ज़ुकाम के इ़लाज के सिलसिले में जो फ़ाएदा किश्मिश ने दिया, किसी और दवा ने नहीं दिया । (मदनी मुज़ाकरा, केसेट नम्बर : 124, गुलदस्तए दुरूदो सलाम, स. 552) ٭ ख़िलाफे़ मामूल नींद का आना, जिगर की कमज़ोरी पर दाल (दलालत करता) है और इस का इ़लाज येह है कि लीमूं वाले पानी में शह्द का एक चम्मच नहार मुंह इस्तिमाल करें, اِنْ شَآءَ اللہ फ़ाएदा होगा । (मदनी मुज़ाकरा, केसेट नम्बर : 124, गुलदस्तए दुरूदो सलाम, स. 553) ٭ इ़लाज के लिए किसी एक त़बीब को मुस्तक़िल त़ौर पर मख़्सूस कर लेना चाहिए, वोह आप के त़बई़ मिज़ाज से वाक़िफ़ रहेगा, तो इ़लाज जल्द हो सकेगा और बुरे असरात के ख़त़रात भी कम रहेंगे, वरना ख़्वाह म ख़्वाह अलग अलग त़बीबों के पास जाएंगे, तो वोह नए नए नुस्ख़े आज़माएंगे, इस त़रह़ आप का पैसा और वक़्त दोनों बरबाद होते रहेंगे । इसी त़रह़ किताबों या लोगों के बताए हुवे नुस्ख़ों के मुत़ाबिक़ इ़लाज करना भी ख़त़रनाक साबित हो सकता है कि मश्हूर कहावत है : "नीम ह़कीम ख़त़रए जान" । साथ ही साथ