Safai Ki Ahamiyyat

Book Name:Safai Ki Ahamiyyat

  1. ह़ज़रते जाबिर رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ फ़रमाते हैं कि नबिय्ये करीम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم हमारे यहां तशरीफ़ लाए, एक शख़्स को परागन्दा सर देखा जिस के बाल बिखरे हुवे थे । फ़रमाया : क्या इस को ऐसी चीज़ नहीं मिलती जिस से बालों को जम्अ़ कर ले ? और दूसरे शख़्स को मैले कपड़े पेहने हुवे देखा, तो फ़रमाया : क्या इसे ऐसी चीज़ नहीं मिलती जिस से कपड़े धो ले ? (ابوداؤد، کتاب اللباس، باب فی غسل الثوب وفی الخلقان، ۴/۷۲، حدیث: ۴۰۶۲)
  2. ह़ज़रते अ़त़ा बिन यसार رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ फ़रमाते हैं : रसूले अकरम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم मस्जिद में तशरीफ़ फ़रमा थे, एक शख़्स आया जिस के सर और दाढ़ी के बाल बिखरे हुवे थे, ह़ुज़ूरे अक़्दस صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم ने उस की त़रफ़ इशारा किया, गोया बालों के दुरुस्त करने का ह़ुक्म देते हैं । वोह शख़्स दुरुस्त कर के वापस आया, तो नबिय्ये अकरम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم ने इरशाद फ़रमाया : क्या येह इस से बेहतर नहीं है कि कोई शख़्स बालों को इस त़रह़ बिखेर कर आता है, गोया वोह शैत़ान है । (مؤطا امام مالک، کتاب الشعر، باب اصلاح الشعر،  ۲/۴۳۵، حدیث: ۱۸۱۹)

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!       صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

          प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! बयान कर्दा अह़ादीसे मुबारका से मालूम हुवा ! सफ़ाई निस्फ़ ईमान है । इस्लाम सफ़ाई को पसन्द करता है । साफ़ सुथरा रेहने वाला जन्नत में दाख़िल होगा । पेहनने का लिबास, सुवारियां और ज़ाहिरी ह़ालत को साफ़ सुथरा रखना चाहिए । कपड़े और सर के बालों को भी साफ़ और ठीक रखना चाहिए क्यूंकि सफ़ाई अल्लाह करीम और रसूले करीम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم को पसन्द है । इन्सान को जन्नत में दाख़िल करेगी । इस्लाम की बुन्याद सफ़ाई पर रखी गई है । इन्सान को इ़ज़्ज़त दिलाती है और सफ़ाई का एहतिमाम न करने वाले को रसूले करीम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم ने समझाया । लिहाज़ा हर मुसलमान को चाहिए कि वोह अपने जिस्म और लिबास वग़ैरा को नापाकी से पाक रखने के साथ साथ मैल कुचैल वग़ैरा से भी साफ़ रखे । अपने सर और दाढ़ी के बालों में ख़ुश्बूदार तेल डाले । नाख़ुन (Nails) भी ज़ियादा न बढ़ने दे कि इन में मैल कुचैल भर जाता है फिर वोह खाना वग़ैरा खाने में पेट के अन्दर पहुंचता है, जिस के सबब त़रह़ त़रह़ की बीमारियां पैदा होने का ख़त़रा रेहता है । बग़ल के बाल दूर करना, ज़ेरे नाफ़ के बाल मून्डना, नाख़ुन काटना वग़ैरा तो ऐसे काम हैं जिन का हर शरीअ़त में ह़ुक्म था और येह पिछले नबियों की सुन्नतों में से हैं । चुनान्चे,

          रसूलों के अफ़्सर صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم ने इरशाद फ़रमाया : 10 चीज़ें फ़ित़रत से हैं (यानी उन का ह़ुक्म हर शरीअ़त में था) : मूंछें कतरना, दाढ़ी बढ़ाना, मिस्वाक करना, नाक में पानी डालना, नाख़ुन तराश्ना, उंगलियों के जोड़ धोना, बग़ल के बाल दूर करना, नाफ़ के नीचे के बाल मून्डना, इस्तिन्जा करना और कुल्ली करना । (مسلم، کتاب الطھارۃ، باب خصال الفطرۃ، ص۱۲۵، حدیث:۶۰۴)

          आइए ! इस बारे में सय्यिदी आला ह़ज़रत رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ ने जो चन्द अहम निकात बयान किए हैं, वोह सुनते हैं : 40 रोज़ से ज़ियादा नाख़ुन या बग़ल के बाल या नाफ़ के नीचे के बाल रखने की इजाज़त नहीं, बादे चालीस रोज़ के गुनहगार होंगे, एक आध बार में गुनाहे सग़ीरा होगा, आ़दत