Safai Ki Ahamiyyat

Book Name:Safai Ki Ahamiyyat

डालने से कबीरा हो जाएगा, फ़िस्क़ होगा । (फ़तावा रज़विय्या, 22 / 678, माख़ूज़न) एक और मक़ाम पर फ़रमाते हैं : मूंछें इतनी बढ़ाना कि मुंह में आएं, ह़राम, गुनाह और ग़ैर मुस्लिमों का त़रीक़ा है । (फ़तावा रज़विय्या, 22 / 684, माख़ूज़न)

          लिहाज़ा हो सके, तो हर जुम्आ़ को येह काम कर ही लेने चाहिएं क्यूंकि ٭ एक ह़दीसे मुबारक में है कि ह़ुज़ूरे अकरम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم जुम्आ़ के दिन नमाज़ के लिए जाने से पेहले मूंछें कतरवाते और नाख़ुन तरश्वाते । (شعب الایمان،باب فی الطھارات،۳/۲۴ حدیث: ۲۷۶۳) ٭ दांत से नाख़ुन नहीं काटना चाहिए कि मक्रूह है और इस से मरज़े बर्स (यानी ऐसा मरज़ जिस में बदन पर सफे़द धब्बे पड़ जाते हैं, इस के) पैदा हो जाने का अन्देशा है । (درمختارمع ردالمحتار،کتاب الحظر والاباحۃ،فصل فی البیع، ۹/۶۶۸) ٭ लम्बे नाख़ुन शैत़ान की निशस्त गाह हैं, यानी उन पर शैत़ान बैठता है । (कीमियाए सआ़दत, 1 / 168) ٭ नाख़ुन या बाल वग़ैरा काटने के बाद दफ़्न कर देने चाहिएं । (درمختارمع ردالمحتار،کتاب الحظر والاباحۃ،فصل فی البیع، ۹/۶۶۸) ٭ नाख़ुन तराश लेने के बाद उंगलियों के पौरे (यानी उंगलियों के अगले ह़िस्से) धो लेने चाहिएं । ٭ बग़ल के बालों को उखाड़ना सुन्नत है और मून्डना गुनाह भी नहीं । (در مختار  مع رد المحتار، کتاب الحظر والاباحۃ،فصل فی البیع،۹/۶۷۱) ٭ नाक के बाल न उखाड़ें कि इस से मरज़े आक्ला पैदा हो जाने का ख़ौफ़ है । (فتاویٰ ھنديہ ،کتاب الکراہیۃ، الباب التاسع عشر فی الختان والحصا ...الخ، ۵/۳۵۸) (आक्ला पेहलू में होने वाले उस फोड़े को केहते हैं जिस से गोश्त पोस्त (खाल) सड़ जाते हैं और गोश्त झड़ने लगता है)

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!                                      صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

          प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! यक़ीनन इ़मामा बांधना प्यारे आक़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم की बहुत ही प्यारी सुन्नत है और इस की बरकत से इ़बादत का सवाब कई गुना बढ़ जाता है । याद रहे ! इ़मामा शरीफ़ पेहनने से कोई पुर वक़ार उसी वक़्त नज़र आ सकता है जबकि इ़मामा शरीफ़ ख़ूब साफ़ सुथरा हो, अगर सूरते ह़ाल इस के उलट हुई, तो नफ़रत का सबब बन सकता है । इ़मामे को मैल से बचाएं, वक़्तन फ़ वक़्तन धोते रहें, तेल लगाने की सूरत में सरबन्द का भी इस्तिमाल किया जाए । सर से चिपटी टोपी पेहनने से इ़मामा शरीफ़ बार बार खोल कर बांधने से सर को हवा भी लगती रहेगी और बदबू भी पैदा नहीं होगी । अल्लाह पाक हमें ज़ाहिरी व बात़िनी सफ़ाई अ़त़ा फ़रमाए । اٰمِیْن بِجَاہِ النَّبِیِّ الْکَرِیْم صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم

          प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! जिस त़रह़ हम अपने बदन, लिबास, इस्तिमाली चीज़ों और घर को साफ़ सुथरा रखते हैं, इसी त़रह़ अपने अ़लाके़ और मह़ल्ले को भी साफ़ सुथरा रखना हमारी अख़्लाक़ी ज़िम्मेदारी है । बड़े शहरों में इन्तिज़ामिया की त़रफ़ से रिहाइशी अ़लाके़ से थोड़ी दूर एक जगह मुक़र्रर होती है कि आस पास के लोग अपने घरों का कचरा वहां डाल दें फिर वहां से इन्तिज़ामिया की गाड़ियां उस कचरे को ले जाती हैं लेकिन बाज़ लोग रोड (Road) के दरमियान या किसी के घर के सामने कचरे का ढेर लगाना शुरूअ़ कर देते हैं, एक के बाद दूसरा और फिर तीसरा भी अपने घर का कचरा वहां फेंकता है, तो गोया लाइन लग जाती है । वोही जगह अ़वामी त़ौर पर कचरा कून्डी क़रार पाती है लेकिन जिस के घर के बाहर येह कारवाई की जाती है, वोह किस