Book Name:Ambiya-e-Kiram Ki Naiki Ki Dawat
इम्तिह़ान लिया जाता है, कभी दुश्मन के ख़ौफ़ का सामना करना पड़ता है, कभी किसी नुक़्सान से वासित़ा पड़ता है, कभी मुसीबतें घेर लेती हैं, तो कभी नए से नए फ़ितने इस्तिक़्बाल करते हैं । येह तो आ़म ज़िन्दगी की ह़ालत है जब कि तब्लीगे़ दीन तो ख़ास त़ौर पर एक ऐसा रास्ता है जिस में क़दम क़दम पर तकालीफ़ का सामना करना पड़ता है, इस में आज़माइशें कई गुना बढ़ जाती हैं, इसी से खरे और खोटे में पेहचान होती है, इसी से अल्लाह पाक के फ़रमां बरदार व ना फ़रमान के रास्ते जुदा होते हैं, इस से इ़श्के़ ह़क़ीक़ी के खोखले नारे लगाने वालों और ह़क़ीक़त में इस का दम भरने वालों में फ़र्क़ ज़ाहिर होता है । ह़ज़रते सय्यिदुना नूह़ عَلٰی نَبِیِّنَا وَ عَلَیْہِ الصَّلٰوۃُ وَالسَّلَام पर अक्सर क़ौम का ईमान न लाना, ह़ज़रते सय्यिदुना इब्राहीम عَلٰی نَبِیِّنَا وَ عَلَیْہِ الصَّلٰوۃُ وَالسَّلَام का आग में डाला जाना, अपने ह़क़ीक़ी बेटे को क़ुरबानी के लिए पेश कर देना, ह़ज़रते सय्यिदुना अय्यूब عَلٰی نَبِیِّنَا وَ عَلَیْہِ الصَّلٰوۃُ وَالسَّلَام का मुख़्तलिफ़ मुसीबतों का सामना करना, उन की औलाद और अम्वाल का ख़त्म हो जाना, ह़ज़रते सय्यिदुना मूसा عَلٰی نَبِیِّنَا وَ عَلَیْہِ الصَّلٰوۃُ وَالسَّلَام का मिस्र और मदयन की त़रफ़ हिजरत करना, ह़ज़रते ई़सा عَلٰی نَبِیِّنَا وَ عَلَیْہِ الصَّلٰوۃُ وَالسَّلَام का सताया जाना और कई अम्बियाए किराम عَلَیْہِمُ السَّلَام का शहीद किया जाना, येह सब आज़माइशों और सब्र ही की मिसालें हैं और इन मुक़द्दस हस्तियों की आज़माइशें और सब्र हर मुसलमान के लिए एक नुमूने (Model) की ह़ैसिय्यत रखते हैं । लिहाज़ा हर मुसलमान को चाहिए कि जब भी उसे कोई मुसीबत पहुंचे, किसी तक्लीफ़ में मुब्तला हो जाए, तो उसे चाहिए कि वोह हरगिज़ हरगिज़ बे सब्री न करे, दुन्या के सामने अपनी परेशानी का रोना न रोए बल्कि अल्लाह पाक की ज़ात पर भरोसा रखे और अल्लाह पाक के इन नेक और मक़्बूल बन्दों यानी अम्बियाए किराम عَلَیْہِمُ السَّلَام की मुबारक ज़िन्दगियों से मुसीबतों और तक्लीफ़ों पर सब्रो रिज़ा के वाक़िआ़त पर ग़ौर करते हुवे सब्र का दामन थामे रखे ।
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد
प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! याद रखिए ! मुसीबत आने पर शिक्वे शिकायात करने से मुसीबत दूर नहीं हो जाती बल्कि बे सब्री करने से सब्र पर मिलने वाला सवाब भी ज़ाएअ़ हो जाता है । ह़दीसे पाक में तो मुसीबत को छुपाने पर मग़फ़िरत की ख़ुश ख़बरी सुनाई गई है । चुनान्चे,
मुसीबत को छुपाने की फ़ज़ीलत
ह़ज़रते सय्यिदुना इबने अ़ब्बास رَضِیَ اللّٰہُ عَنْھُمَا फ़रमाते हैं : नबिय्ये अकरम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने इरशाद फ़रमाया : जिस के माल या जान में मुसीबत आई फिर उस ने