Ambiya-e-Kiram Ki Naiki Ki Dawat

Book Name:Ambiya-e-Kiram Ki Naiki Ki Dawat

اِنَّمَا یَعْمُرُ مَسٰجِدَ اللّٰهِ مَنْ اٰمَنَ بِاللّٰهِ وَ الْیَوْمِ الْاٰخِرِ وَ اَقَامَ الصَّلٰوةَ وَ اٰتَى الزَّكٰوةَ (پ ۱۰ ،التوبہ :۱۸)

तर्जमए कन्ज़ुल इ़रफ़ान : अल्लाह की मस्जिदों को वोही आबाद करते हैं जो अल्लाह और क़ियामत के दिन पर ईमान लाते हैं और नमाज़ क़ाइम करते हैं और ज़कात देते हैं

(ترمذی ، کتاب الایمان ، با ب ماجا ء فی حرمۃ الصلوۃ ،۴/۲۸۰، حدیث:۲۶۲۶)

       आइए ! तरग़ीब के लिए एक मदनी बहार सुनते हैं चुनान्चे,

मैं पतंगबाज़ी का शौक़ीन था

          एक इस्लामी भाई ख़ुश क़िस्मती से मदनी माह़ोल से वाबस्ता एक इस्लामी भाई की इनफ़िरादी कोशिश से रमज़ानुल मुबारक में मोतकिफ़ हो गए, वहां उन्हें बहुत सुकून मिला उन की मस्जिद के मोअज़्ज़िन साह़िब इनफ़िरादी कोशिश कर के उन्हें फै़ज़ाने मदीना में हफ़्तावार सुन्नतों भरे इजतिमाअ़ में ले आए एक मुबल्लिग़े दावते इस्लामी सुन्नतों भरा बयान कर रहे थे, मुबल्लिग़ के चेहरे की कशिश और नूरानिय्यत ने उन का दिल मोह लिया और वोह (इस्लामी भाई जो पतंगबाज़ी के शौक़ीन थे) दावते इस्लामी के मदनी माह़ोल से वाबस्ता हो गए और اَلْحَمْدُ لِلّٰہ एक मुठ्ठी दाढ़ी भी सजा ली

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!       صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

          ऐ आ़शिक़ाने रसूल ! नेकी की दावत देना और बुराई से मन्अ़ करना येह वोह बुन्यादी मक़्सद है जिस की ख़ात़िर अम्बियाए किराम عَلَیْہِمُ السَّلَام इस काइनात में तशरीफ़ लाए । क़ुरआने पाक की सूरए अम्बिया में ह़ज़रते मूसा, ह़ज़रते हारून, ह़ज़रते इब्राहीम, ह़ज़रते लूत़, ह़ज़रते इस्ह़ाक़, ह़ज़रते याक़ूब, ह़ज़रते नूह़, ह़ज़रते दावूद, ह़ज़रते सुलैमान, ह़ज़रते अय्यूब, ह़ज़रते इस्माई़ल, ह़ज़रते इदरीस, ह़ज़रते ज़ुलकिफ़्ल, ह़ज़रते यूनुस, ह़ज़रते ज़करिय्या, ह़ज़रते यह़या और ह़ज़रते ई़सा عَلٰی نَبِیِّنَا وَ عَلَیْہِمُ الصَّلٰوۃُ وَالسَّلَام के वाक़िआ़त बयान फ़रमाए गए और इन तमाम वाक़िआ़त को बयान करने के बाद फ़रमाया गया कि सब अम्बियाए किराम عَلَیْہِمُ السَّلَام का येही एक मक़्सद था कि वोह लोगों को अल्लाह पाक की इ़बादत की दावत दें । (सिरात़ुल जिनान, 6 / 277, मुलख़्ख़सन) और तमाम नबियों के सरदार صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ भी नेकी की दावत देने और बुराई से मन्अ़ करने का अ़ज़ीम मन्सब (Status) ले कर इस दुन्या में तशरीफ़ लाए, आज जहां कहीं दीने इस्लाम की रौशन किरनों से जहां रौशन हो रहा है, येह सब हमारे आक़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की दी हुई नेकी की दावत का सदक़ा है, आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की ही दिन रात की मेह़नत और मुसल्सल कोशिशों से दीन का झन्डा हर त़रफ़ लेहराया । आइए !