Book Name:Ambiya-e-Kiram Ki Naiki Ki Dawat
। तगूदार ने अपने ज़हरीले कांटे के जवाब में उस बा अ़मल मुबल्लिग़ की त़रफ़ से ख़ूबसूरत जुम्ला पाया, तो पानी पानी हो गया और नर्मी से बोला : आप मेरे मेहमान (Guest) हैं । चुनान्चे, आप رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ उस के पास ठेहर गए । तगूदार रोज़ाना रात आप رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ की ख़िदमत में ह़ाज़िर होता, आप رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ निहायत ही मह़ब्बत के साथ उसे नेकी की दावत पेश करते । आप رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ की इनफ़िरादी कोशिश ने तगूदार के दिल में मदनी इन्क़िलाब बरपा कर दिया । वोह तगूदार जो कल तक इस्लाम का सख़्त दुश्मन था, आप رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ की सोह़बत और मीठे बोल की बरकत से वोही तगूदार अब इस्लाम का शैदाई बन चुका था । اَلْحَمْدُ لِلّٰہ इसी बा अ़मल मुबल्लिग़ के हाथों तगूदार अपनी पूरी तातारी क़ौम समेत मुसलमान हो गया और उस का इस्लामी नाम "अह़मद" रखा गया । (ग़ीबत की तबाहकारियां, स. 154, मुलख़्ख़सन)
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد
ऐ आ़शिक़ाने औलिया ! ज़रा सोचिए ! अगर तगूदार के कड़वे जुम्ले पर वोह बुज़ुर्ग رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ ग़ुस्से में आ जाते, तो हरगिज़ येह मदनी नताइज बर आमद न होते । लिहाज़ा कोई कितना ही ग़ुस्सा दिलाए, हमें अपनी ज़बान को क़ाबू में ही रखना चाहिए कि ज़बान जब बेक़ाबू हो जाती है, तो बाज़ अवक़ात बने बनाए खेल भी बिगाड़ कर रख देती है ।
एक मदनी फूल इस ह़िकायत से येह भी मिला कि नेकी की दावत देते हुवे बसा अवक़ात ग़ैर मुनासिब लह्जों, कड़वे जुम्लों और नेकी की दावत क़बूल करने से मुंह मोड़ने वाले लोगों से भी सामना करना पड़ जाता है, ऐसी सूरत में भी सब्र का दामन हाथ से न जाने देना चाहिए, दिल बड़ा करना चाहिए, हिम्मत और ह़ौसले से काम लेना चाहिए और इस अ़ज़ीम काम की अहम्मिय्यत को समझते हुवे इख़्लास के साथ नेकी की दावत देने पर ही तवज्जोह रखनी चाहिए । याद रखिए ! नेकी की दावत देना ऐसा बेहतरीन काम है जिस में नाकामी तो हो ही नहीं सकती क्यूंकि अच्छी निय्यत की सूरत में नेकी की दावत देने वाला आख़िरत के सवाब का ह़क़दार तो हो ही जाता है । जैसा कि :
मुबल्लिग़ को कैसा होना चाहिए ?
ह़ुज्जतुल इस्लाम, ह़ज़रते सय्यिदुना इमाम मुह़म्मद ग़ज़ाली رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ नक़्ल फ़रमाते हैं : किसी बुज़ुर्ग ने अपने बेटे को नसीह़त करते हुवे फ़रमाया : नेकी की दावत देने वाले को चाहिए कि वोह अपने आप को सब्र का आ़दी बनाए और अल्लाह पाक की त़रफ़ से नेकी की दावत के मिलने वाले सवाब पर यक़ीन रखे । जिस को सवाब का