Book Name:Ambiya-e-Kiram Ki Naiki Ki Dawat
दिलजूई के लिये बुलन्द आवाज़ से जवाब दूंगा ।٭ इजतिमाअ़ के बा'द ख़ुद आगे बढ़ कर सलाम व मुसाफ़ह़ा और इनफ़िरादी कोशिश करूंगा ।
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد
प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! اِنْ شَآءَ اللہ आज के बयान में हम अम्बियाए किराम की नेकी की दावत के वाक़िआ़त के बारे में सुनेंगे । आइए ! सब से पेहले हम अल्लाह पाक के प्यारे नबी, ह़ज़रते सय्यिदुना नूह़ عَلٰی نَبِیِّنَا وَ عَلَیْہِ الصَّلٰوۃُ وَالسَّلَام और उन की नेकी की दावत के बारे में सुनते हैं । चुनान्चे,
सय्यिदुना नूह़ عَلٰی نَبِیِّنَا وَ عَلَیْہِ الصَّلٰوۃُ وَالسَّلَام और नेकी की दावत
ह़ज़रते नूह़ عَلٰی نَبِیِّنَا وَ عَلَیْہِ الصَّلٰوۃُ وَالسَّلَام उलुल अ़ज़्म रसूलों में से हैं । क़ुरआने पाक में आप की तब्लीग़ के वाक़िआ़त को एक से ज़ाइद जगहों पर काफ़ी तफ़्सील से बयान फ़रमाया गया है । चालीस या पचास साल की उ़म्र में आप ने नुबुव्वत का एलान फ़रमाया । (सिरात़ुल जिनान, 3 / 347, माख़ूज़न) नव सौ पचास साल तक अपनी क़ौम को (नेकी की) दावत देते रहे । (सिरात़ुल जिनान, 4 / 425) आप ने अपनी क़ौम के लोगों को बुराइयों से रोका, उन्हें तक़्वा इख़्तियार करने और सिर्फ़ माबूदे ह़क़ीक़ी यानी अल्लाह करीम की इ़बादत करने का ह़ुक्म दिया । (पा. 29, नूह़ : 2-3, मफ़्हूमन) आप एक लम्बे अ़र्से तक अपनी क़ौम को तब्लीग़ फ़रमाते रहे । (पा. 20, अल अ़न्कबूत : 14, मफ़्हूमन) और तब्लीग़ के लिए आप ने हर त़रीक़ा इस्तिमाल किया लेकिन सिर्फ़ चन्द ख़ुश नसीब ही आप पर ईमान लाए, लोगों की अक्सरिय्यत ह़क़ सुनने और मानने को तय्यार न थी । (पा. 12, हूद : 40, मुलख़्ख़सन) उल्टा वोह बद नसीब लोग त़रह़ त़रह़ से आप की तौहीन करते और आप को त़रह़ त़रह़ से सताते, यहां तक कि कई बार उन ज़ालिमों ने आप को इस क़दर मारा कि आप बेहोश हो गए, लोगों ने आप को मुर्दा ख़याल कर के कपड़ों में लपेट कर मकान में डाल दिया, जब आप होश में आए, तो मकान से निकल कर फिर से दीन की तब्लीग़ फ़रमाने लगे । इसी त़रह़ कई मरतबा आप का गला घोंटा गया, यहां तक कि आप का दम घुटने लगता और आप बेहोश हो जाते मगर इन तक्लीफ़ों और मुसीबतों पर भी आप येही दुआ़ फ़रमाया करते थे : ऐ मेरे रब्बे करीम ! तू मेरी क़ौम को बख़्श दे और हिदायत अ़त़ा फ़रमा क्यूंकि येह मुझ को नहीं जानते । जब नव सौ साल से ज़ियादा अ़र्से तक दावत देते रहे और क़ौम अपनी बुरी ह़रकतों से बाज़ न आई, तो ह़ज़रते सय्यिदुना नूह़ عَلٰی نَبِیِّنَا وَ عَلَیْہِ الصَّلٰوۃُ وَالسَّلَام ने अल्लाह पाक की बारगाह में अपनी कोशिश और क़ौम की हटधर्मी के बारे में अ़र्ज़ की और ना फ़रमानों की तबाही व बरबादी की दुआ़ की । अल्लाह पाक ने उन की क़ौम के ना फ़रमानों पर