Ambiya-e-Kiram Ki Naiki Ki Dawat

Book Name:Ambiya-e-Kiram Ki Naiki Ki Dawat

दिखाओ वोह मोजिज़ात क्या हैं ? ह़ज़रते मूसा عَلٰی نَبِیِّنَا وَ عَلَیْہِ الصَّلٰوۃُ وَالسَّلَام ने अपनी लाठी ज़मीन पर फेंकी, तो वोह बहुत बड़ा अज़्दहा बन गई और जब ह़ज़रते सय्यिदुना मूसा عَلٰی نَبِیِّنَا وَ عَلَیْہِ الصَّلٰوۃُ وَالسَّلَام ने अज़्दहे को पकड़ा, तो वोह दोबारा लाठी बन गई फ़िरऔ़न ने कहा : और भी कुछ लाए हो ? तो आप ने अपने हाथ को गिरेबान में डाल कर निकाला, तो हाथ सूरज की त़रह़ चमकने लगा (पा. 19, अश्शुअ़रा : 29 ता 33, मुलख़्ख़सन)

          ह़ज़रते सय्यिदुना मूसा عَلٰی نَبِیِّنَا وَ عَلَیْہِ الصَّلٰوۃُ وَالسَّلَام जब अपने मोजिज़े दिखा चुके, तो फ़िरऔ़न ने सरदारों से कहा : येह तो जादूगर है और अपने जादू के ज़ोर पर तुम से तुम्हारा मुल्क छीनना चाहता है, मशवरा दो कि अब क्या करें ? (पा. 19, अश्शुअ़रा : 34 ता 35, मुलख़्ख़सन) सरदारों ने उसे शहरों से जादूगरों को बुलाने का मशवरा दिया, जब तमाम जादूगर जम्अ़ हो गए, तो लोगों में मेले का एलान कर दिया गया और येह एलान भी कर दिया गया कि सब लोग मेले वाले दिन जम्अ़ हो जाएं (पा. 19, अश्शुअ़रा : 36 ता 39, मुलख़्ख़सन) जब मेले वाले दिन सब एक जगह जम्अ़ हो गए और मुक़ाबला हुवा, तो जादूगरों ने ह़ज़रते सय्यिदुना मूसा عَلٰی نَبِیِّنَا وَ عَلَیْہِ الصَّلٰوۃُ وَالسَّلَام के सामने अपनी रस्सियां और लक्ड़ियां फेंक दीं, उन्हों ने अपने जादू का इतना ज़बरदस्त मुज़ाहरा किया कि देखने वालों को मैदान में सांप ही सांप नज़र आने लगे (خازن،۲/۱۲۷) ह़ज़रते सय्यिदुना मूसा عَلٰی نَبِیِّنَا وَ عَلَیْہِ الصَّلٰوۃُ وَالسَّلَام ने अपनी लाठी ज़मीन पर फेंकी, तो वोह बहुत बड़ा अज़्दहा बन गई (पा. 19, अश्शुअ़रा : 32) और तमाम सांपों (Snakes) को खा गई (पा. 19, अश्शुअ़रा : 45) जादूगर येह मन्ज़र देख कर फ़ौरन सजदे में गिर गए और आप पर ईमान ले आए क्यूंकि उन्हें यक़ीन हो गया था कि येह जादू नहीं बल्कि मोजिज़ा है (خازن، ۲/۱۲۷) मगर फ़िरऔ़नी लोग ज़ुल्मो सितम, अपनी ना फ़रमानी और कुफ़्र पर क़ाइम रहे (خازن،۲/۳۰تا۳۲ ملتقطاًوملخصاً)

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!       صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

          आ़शिक़ाने रसूल ! आप ने सुना कि ह़ज़रते सय्यिदुना मूसा عَلٰی نَبِیِّنَا وَ عَلَیْہِ الصَّلٰوۃُ وَالسَّلَام ने भी तमाम चीज़ों और धमकियों की परवा किए बिग़ैर दीने ह़क़ की दावत दी, आप इस्तिक़ामत के साथ नेकी की दावत और तब्लीग़े दीन की ज़िम्मेदारी अच्छे त़रीके़ से सर अन्जाम देते रहे आप का येह अ़मल हमारे लिए भी एक बेहतरीन मिसाल है कि हम भी अम्बियाए किराम عَلَیْہِمُ السَّلَام के इस मक़्सद को अपनी ज़िन्दगी का एक अहम मक़्सद समझें

          याद रखिए ! ज़िन्दगी में क़दम क़दम पर आज़माइशें आती हैं, अल्लाह पाक अपने बन्दों को कभी मरज़ से आज़माता है, कभी जानो माल की कमी से उन का