Ambiya-e-Kiram Ki Naiki Ki Dawat

Book Name:Ambiya-e-Kiram Ki Naiki Ki Dawat

कि ह़ालात का अन्दाज़ा लगा कर मौक़अ़ के मुत़ाबिक़ गुफ़्तगू करे (7) मुबल्लिग़ को ख़ुद किसी बह़्सो तकरार में नहीं उलझना चाहिए बल्कि बह़्स करने वाले को दुरुस्त अ़क़ीदा रखने वाले किसी सुन्नी आ़लिम साह़िब के पास जाने का मशवरा देना चाहिए (8) मुबल्लिग़ जहां भी कोई बुराई देखे, अपनी त़ाक़त और ह़ैसिय्यत के मुत़ाबिक़ नेकी की दावत देने और बुराई से मन्अ़ करने की ज़रूर कोशिश करे (9) मुबल्लिग़ को चाहिए कि हमेशा अल्लाह करीम की रह़मत पर नज़र रखे और मायूसी को क़रीब भी आने दे (सरकार का अन्दाज़े तब्लीग़े दीन, . 20 ता 24, मुलख़्ख़सन)

12 मदनी कामों में से एक मदनी काम "यौमे तात़ील एतिकाफ़"

          आ़शिक़ाने रसूल ! इन ख़ूबियों के इ़लावा मुबल्लिग़ के लिए येह भी ज़रूरी है कि वोह ज़ैली ह़ल्के़ के 12 मदनी कामों में बहुत ज़ियादा मश्ग़ूल रेहने वाला हो क्यूंकि जो मुबल्लिग़ ज़ैली ह़ल्के़ के 12 मदनी कामों में मज़बूत़ होता है, उस के अ़लाके़ में आ़शिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक दावते इस्लामी के मदनी कामों को मदीने के 12 चांद लग जाते हैं लिहाज़ा मुबल्लिग़ीने दावते इस्लामी को चाहिए कि अगर वोह अपने अ़लाके़ में दावते इस्लामी का मदनी काम फलता और फूलता देखना चाहते हैं, तो वोह अपने अ़लाक़ों में ज़ैली ह़ल्के़ के 12 मदनी कामों को मज़बूत़ तर बनाने की कोशिशें तेज़ कर दें याद रहे ! 12 मदनी कामों में से हफ़्तावार एक मदनी काम "यौमे तात़ील एतिकाफ़" भी है छुट्टी वाले दिन शहर के मुख़्तलिफ़ अ़लाक़ों और अत़राफ़ के गांव, गोठों में जा कर वहां की मसाजिद को आबाद करने के साथ साथ मक़ामी आ़शिक़ाने रसूल को नेकी की दावत दे कर इ़ल्मे दीन सीखने, सिखाने की तरकीब की जाती है

          ٭ اَلْحَمْدُ لِلّٰہ यौमे तात़ील एतिकाफ़ इस्लामी भाइयों को सुन्नतें और आदाब और मदनी दर्स वग़ैरा का त़रीक़ा सिखाने का बेहतरीन ज़रीआ़ है ٭ यौमे तात़ील एतिकाफ़ की बरकत से मसाजिद आबाद होती हैं ٭ यौमे तात़ील एतिकाफ़ की बरकत से निय्यते एतिकाफ़ मस्जिद में गुज़रने वाला हर हर लम्ह़ा इ़बादत में शुमार होगा ٭ यौमे तात़ील एतिकाफ़ की बरकत से मस्जिद से मह़ब्बत करने और उस में अपना ज़ियादा से ज़ियादा वक़्त गुज़ारने की फ़ज़ीलत ह़ासिल होगी

          اَلْحَمْدُ لِلّٰہ अपना ज़ियादा वक़्त मस्जिद में गुज़ारने की भी क्या ख़ूब फ़ज़ीलत है चुनान्चे, ह़ज़रते सय्यिदुना अबू सई़द ख़ुदरी رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ से रिवायत है, रसूले अकरम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने फ़रमाया : जब तुम किसी शख़्स को देखो कि वोह मस्जिद में कसरत से आता जाता है, तो उस के ईमान की गवाही दो क्यूंकि अल्लाह करीम (पारह 10, सूरतुत्तौबा की आयत नम्बर 18 में इरशाद) फ़रमाता है :