Ambiya-e-Kiram Ki Naiki Ki Dawat

Book Name:Ambiya-e-Kiram Ki Naiki Ki Dawat

          ह़ज़रते सय्यिदुना सुलैमान عَلٰی نَبِیِّنَا وَ عَلَیْہِ الصَّلٰوۃُ وَالسَّلَام जब उस जगह उतरे, तो आप को पानी की ह़ाजत हुई, लश्कर वालों ने पानी तलाश किया लेकिन उन्हें मिला, हुदहुद को देखा गया ताकि वोह पानी के बारे में बताए लेकिन हुदहुद मौजूद था (معالم التنزیل،۳/۳۵۳ ملتقطاً) जब हुदहुद, ह़ज़रते सय्यिदुना सुलैमान عَلٰی نَبِیِّنَا وَ عَلَیْہِ الصَّلٰوۃُ وَالسَّلَام के पास पहुंचा, तो आप ने उस से ताख़ीर का सबब पूछा उस ने निहायत अदब से अ़र्ज़ की : मैं मुल्के सबा की ख़बर लाया हूं, उस मुल्क पर एक औ़रत ह़ुकूमत कर रही है, उस के पास हर वोह चीज़ मौजूद है जो बादशाहों की शान के लाइक़ होती है और उस के पास एक बहुत बड़ा आ़लीशान तख़्त भी है, वोह औ़रत और उस की क़ौम शैत़ान के बेहकाने की वज्ह से अल्लाह पाक को छोड़ कर सूरज को सजदा करती है, ह़ालांकि अल्लाह पाक के सिवा कोई इ़बादत के लाइक़ नहीं (معالم التنزیل،۳/۳۵۴ ملتقطاً) जब हुदहुद ने अपनी पूरी बात सुना दी, तो ह़ज़रते सय्यिदुना सुलैमान عَلٰی نَبِیِّنَا وَ عَلَیْہِ الصَّلٰوۃُ وَالسَّلَام ने फ़रमाया : हम (तुम्हारा इम्तिह़ान ले कर) देखते हैं कि तुम ने सच कहा है या झूट फिर आप ने हुदहुद को एक ख़त़ (Letter) दिया और कहा : मेरा येह ख़त़ ले जाओ और उस पर फेंक दो फिर दूर हट कर देखना कि वोह क्या जवाब देती है एक दिन जब मलिकए बिल्क़ीस वज़ीरों और दरबारियों के साथ बैठी हुई थी, इतने में हुदहुद आया और उस ने ख़त़ मलिका पर फेंक दिया मलिका ने ख़त़ उठाया और उस पर लगी हुई मोहर देख कर वज़ीरों से कहा : मेरे पास एक बहुत बड़े बादशाह का ख़त़ (Letter) आया है फिर उस ने ख़त़ पढ़ कर सुनाया, उस ख़त़ का मज़मून क़ुरआने पाक में भी बयान फ़रमाया गया है चुनान्चे, पारह 19, सूरतुन्नम्ल की आयत नम्बर 30 और 31 में इरशाद होता है :

اِنَّهٗ مِنْ سُلَیْمٰنَ وَ اِنَّهٗ بِسْمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِیْمِۙ(۳۰) اَلَّا تَعْلُوْا عَلَیَّ وَ اْتُوْنِیْ مُسْلِمِیْنَ۠(۳۱) (پ۱۹،النمل:۳۰، ۳۱)  

तर्जमए कन्ज़ुल इ़रफ़ान : बेशक वोह सुलैमान की त़रफ़ से है और बेशक वोह अल्लाह के नाम से है जो निहायत मेहरबान रह़म वाला है, येह कि मेरे मुक़ाबले में बुलन्दी चाहो और मेरे पास फ़रमां बरदार बनते हुवे ह़ाज़िर हो जाओ

          फिर मलिका ने अपने मुशीरों (Advisors) से मशवरा किया, त़ै येह पाया कि पेहले ह़ज़रते सय्यिदुना सुलैमान عَلٰی نَبِیِّنَا وَ عَلَیْہِ الصَّلٰوۃُ وَالسَّلَام की त़रफ़ तोह़फ़ा भेजा जाए, इसी से मालूम हो जाएगा कि वोह बादशाह हैं या नबी, अगर वोह सिर्फ़ बादशाह हैं, तो तोह़फ़ा क़बूल कर लेंगे, अगर नबी हैं, तो क़बूल नहीं करेंगे बल्कि वोह सिर्फ़ इसी पर राज़ी होंगे कि हम उन के दीन की पैरवी करें । चुनान्चे, ऐसा ही हुवा कि ह़ज़रते सय्यिदुना सुलैमान عَلٰی نَبِیِّنَا وَ عَلَیْہِ الصَّلٰوۃُ وَالسَّلَام ने सारे तोह़फे़ वापस लौटा दिए और नुमाइन्दे