Book Name:Aala Hazrat Ka Aala Kirdar
सुवालात के जवाबात और 206 रसाइल पर मुश्तमिल है जब कि हज़ारों मसाइल भी दरमियान में बयान हुवे हैं । اَلْحَمْدُ لِلّٰہ "फ़तावा रज़विय्या" क़ुरआने करीम, ह़दीसे रसूल, इजमाअ़ और फ़ुक़हाए किराम رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہِمْ اَجْمَعِیْن के जुज़्इय्यात से आरास्ता हर क़िस्म के मसाइल का ऐसा ख़ूब सूरत गुलदस्ता है जो रहती दुन्या तक के लोगों के दिलों और फ़िक्रों को अपनी महकी महकी ख़ुश्बूओं से महकाता और आ'ला ह़ज़रत رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ के मज़ारे मुबारक में आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ के बुलन्द दरजों में मज़ीद इज़ाफे़ का सबब बनता रहेगा । اِنْ شَآءَ اللّٰہ
आ'ला ह़ज़रत رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ और ह़ुक़ूक़ुल इ़बाद !
प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! आ'ला ह़ज़रत, इमामे अहले सुन्नत رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ के आ'ला किरदार का अन्दाज़ा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ अल्लाह पाक के ह़ुक़ूक़ की अदाएगी के साथ साथ बन्दों के ह़ुक़ूक़ के बारे में भी बहुत ह़ुस्सास थे क्यूंकि आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ को मा'लूम था कि बन्दों के ह़ुक़ूक़ का मुआ़मला अल्लाह करीम के ह़ुक़ूक़ से भी ज़ियादा नाज़ुक है । आइये ! बन्दों के ह़ुक़ूक़ का एह़सास करने के बारे में आ'ला ह़ज़रत رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ का दिलचस्प वाक़िआ़ सुनिये और आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ की सीरत पर अ़मल करने की निय्यत कीजिये । चुनान्चे,
बच्चे से मुआ़फ़ी मांगी
एक मरतबा आ'ला ह़ज़रत, इमामे अहले सुन्नत, मौलाना शाह इमाम अह़मद रज़ा ख़ान رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ बरेली शरीफ़ की मस्जिद में ए'तिकाफ़ में बैठे थे । आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ इफ़्त़ार के बा'द खाना न खाते बल्कि सिर्फ़ पान खाते थे जब कि सह़री के वक़्त घर से सिर्फ़ एक छोटे से पियाले में फ़ीरीनी (Custard) (या'नी एक क़िस्म की खीर जो दूध, चीनी और चावलों के आटे से बनती है) वोह और एक पियाली में चटनी आया करती थी, वोह नोश फ़रमाया करते थे । एक दिन शाम को पान नहीं आए और आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ की येह पुख़्ता आ़दत थी कि खाने की कोई चीज़ त़लब नहीं फ़रमाते थे । चुनान्चे, ख़ामोश रहे लेकिन त़बीअ़त में ना गवारी ज़रूर पैदा हुई । मग़रिब से तक़रीबन 2 घन्टे बा'द एक बच्चा पान लाया । आ'ला ह़ज़रत رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ ने उसे एक थप्पड़ मार कर फ़रमाया : इतनी देर में लाया ? लेकिन बा'द में आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ को ख़याल आया कि इस बेचारे का तो कोई क़ुसूर न था ! क़ुसूर तो देर से भेजने वाले का था । चुनान्चे, सह़री के बा'द उस बच्चे को बुलवाया जो शाम को पान देर में लाया था और फ़रमाया : शाम को मैं ने ग़लत़ी की जो तुम्हारे चपत मारी, देर से भेजने वाले का क़ुसूर था, लिहाज़ा तुम मेरे सर पर थप्पड़ मारो ! और टोपी उतार कर इसरार फ़रमाते रहे । ए'तिकाफ़ में बैठे लोग येह सुन कर परेशान हो गए, वोह बच्चा भी बहुत परेशान हो कर कांपने लगा । उस ने हाथ जोड़ कर अ़र्ज़ की : ह़ुज़ूर ! मैं ने मुआ़फ़ किया । फ़रमाया : तुम ना बालिग़ हो, तुम्हें मुआ़फ़ करने का ह़क़ नहीं ! तुम थप्पड़ मारो ! मगर वोह मारने की हिम्मत न कर सका । आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ ने अपना बक्स (Box) मंगवा