Book Name:Aala Hazrat Ka Aala Kirdar
आयात (मअ़ तर्जमा व तफ़्सीर) तिलावत करने या सुनने की सआ़दत ह़ासिल की ? अगर हम इस मदनी इनआ़म पर रोज़ाना अ़मल करें, तो क़ुरआने करीम की तिलावत की बरकत से हमारे घरों में ख़ैरो बरकत होती रहेगी, तर्जमा व तफ़्सीर के साथ पढ़ने की बरकत से इ़ल्मे दीन में इज़ाफ़ा होगा, क़ुरआने करीम को समझने में आसानी होगी, मा'लूमात का ख़ज़ाना ह़ासिल होगा । मक्तबतुल मदीना से जारी होने वाली अ़ज़ीमुश्शान तफ़्सीर बनाम "सिरात़ुल जिनान" का भी मुत़ालआ़ कीजिये, इस तफ़्सीर में भी बहुत अच्छे अन्दाज़ से मा'लूमात का ख़ज़ाना उम्मते मुस्लिमा तक पहुंचाने की कोशिश की गई है ।
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد
आ'ला ह़ज़रत رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ और ईसारे मुस्लिमीन
प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! आ'ला ह़ज़रत, इमामे अहले सुन्नत رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ के आ'ला किरदार की एक दलील येह भी है कि आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ अपनी मह़बूब और पसन्दीदा चीज़ें भी दूसरों को पेश कर दिया करते थे । आइये ! इस बारे में आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ की सीरत का एक दिलचस्प वाक़िआ़ सुनिये । चुनान्चे,
छत्री ह़ाजत मन्द को अ़त़ा फ़रमा दी
मौसिमे बरसात में बा'ज़ अवक़ात मस्जिद की ह़ाज़िरी दौराने बारिश हुवा करती थी । ह़ाजी किफ़ायतुल्लाह साह़िब رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ ने इस तक्लीफ़ को मह़सूस करते हुवे एक छत्री (Umbrella) ख़रीद कर नज़्र (या'नी तोह़्फे़ में पेश) की और अपने ही पास रख ली । जब आ'ला ह़ज़रत رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ काशानए अक़्दस से तशरीफ़ लाते, तो ह़ाजी साह़िब छत्री लगा कर मस्जिद तक ले जाते । अभी कुछ ही दिन गुज़रे थे कि एक ह़ाजत मन्द ने छत्री का सुवाल किया, आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ ने फ़ौरन छत्री ह़ाजी साह़िब رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ से ले कर उस ह़ाजत मन्द को अ़त़ा फ़रमा दी । (ह़याते आ'ला ह़ज़रत, स. 118)
प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! आप ने सुना कि हमारे आ'ला ह़ज़रत رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ में ईसार व सख़ावत का कैसा जज़्बा था ! जो ज़रूरत के बा वुजूद अपनी चीज़ें दूसरों को दे दिया करते थे । आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ को अच्छी त़रह़ मा'लूम था कि इस्लाम हमें हमदर्दी करने का दर्स देता है, ख़ैर ख़्वाही का दर्स देता है, इसी लिये आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ ने ख़ैर ख़्वाही करते हुवे ख़ुशी ख़ुशी अपनी ज़ात पर दूसरे मुसलमान को तरजीह़ दी । ह़दीसे पाक में है : जो शख़्स किसी चीज़ की ख़्वाहिश रखता हो फिर उस ख़्वाहिश को रोक कर अपने ऊपर (दूसरे को) तरजीह़ दे, तो अल्लाह पाक उसे बख़्श देता है । (جمع الجوامع،حرف الہمزہ،۳/۳۸۴حدیث :۹۵۷۲ )
फ़तवा नवेसी मअ़ "फ़तावा रज़विय्या" का तआ़रुफ़
प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! आ'ला ह़ज़रत رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ ने अपनी मेह़्नत व कोशिश से दीन की ऐसी बे मिसाल इ़ल्मी ख़िदमात सर अन्जाम दीं कि आज तक आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ के कारनामों की धूम मची हुई है । इन्ही कारनामों में से एक बेहतरीन और ज़बरदस्त इ़ल्मी कारनामा "फ़तावा रज़विय्या" की 30 जिल्दें हैं, जो तक़रीबन 22000 सफ़ह़ात, 6847