Book Name:Aala Hazrat Ka Aala Kirdar
ता'वीज़ दिया करते थे) के पास से ता'वीज़ मंगा कर उन साह़िब को अ़त़ा फ़रमाया और साथ ही ह़ाजी किफ़ायतुल्लाह साह़िब رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ ने आ'ला ह़ज़रत رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ का इशारा पाते ही मकान से वोह मिठाई की हांडी मंगवा कर सामने रख दी । आ'ला ह़ज़रत رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ ने वोह मिठाई इन अल्फ़ाज़ के साथ वापस फ़रमा दी कि "इस हांडी को साथ लेते जाइये ! मेरे यहां ता'वीज़ बिक्ता नहीं है ।" उन्हों ने बहुत कुछ मा'ज़िरत की मगर क़बूल न फ़रमाया, बिल आख़िर बेचारे अपने मिठाई वापस लेते गए । (ह़याते आ'ला ह़ज़रत, स. 92, मुलख़्ख़सन)
प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! बयान कर्दा वाक़िए़ से मा'लूम हुवा ! आ'ला ह़ज़रत رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ सिर्फ़ रिज़ाए इलाही के लिये दीनी कामों में मख़्लूके़ ख़ुदा की मदद फ़रमाया करते थे और इस काम के बदले किसी भी क़िस्म का नज़राना क़बूल नहीं फ़रमाते थे । लिहाज़ा हमें चाहिये कि हम भी रिज़ाए इलाही के लिये ह़ाजत मन्द इस्लामी बहनों की मदद व ख़ैर ख़्वाही करें, उन के काम आएं और उन की ज़रूरतों को ह़त्तल इमकान पूरा करने की भरपूर कोशिश किया करें । मख़्लूके़ ख़ुदा की ख़ैर ख़्वाही और हमदर्दी का जज़्बा اَلْحَمْدُ لِلّٰہ फै़ज़ाने आ'ला ह़ज़रत से माला माल आ़शिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक दा'वते इस्लामी के मदनी माह़ोल में घोल घोल कर पिलाया जाता है । लिहाज़ा आप भी इस मदनी माह़ोल से मज़बूत़ी के साथ वाबस्ता रहिये और दा'वते इस्लामी के साथ ख़िदमते दीन के कामों में मश्ग़ूल हो कर अपनी क़ब्रो आख़िरत संवारिये ।
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد
प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! आ'ला ह़ज़रत رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ की सीरत का एक रौशन बाब येह भी है कि आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ कसीर मसरूफ़िय्यात के बा वुजूद जमाअ़त से नमाज़ पढ़ा करते थे, ह़त्ता कि बीमारी की ह़ालत में भी आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ नमाज़ की जमाअ़त तक भी नहीं छोड़ते थे । हमें चूंकि जमाअ़त से नमाज़ पढ़ने की इजाज़त नहीं है, तो हमें अपने घर में नमाज़ की पाबन्दी करनी चाहिये और अपने मह़ारिम को जमाअ़त से नमाज़ पढ़ने की तरग़ीब दिलानी चाहिये । आइये ! आ'ला ह़ज़रत رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ की जमाअ़त की पाबन्दी के ह़वाले से ईमान अफ़रोज़ वाक़िआ़ सुनिये और अपने मह़ारिम को जमाअ़त से नमाज़ पढ़ने की तरग़ीब दिलाने की निय्यत कीजिये । चुनान्चे,
आ'ला ह़ज़रत رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ और नमाज़े बा जमाअ़त की पाबन्दी
आ'ला ह़ज़रत رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ के पाउं का अंगूठा पक गया था, उन के ख़ास जर्राह़ (Surgeon) (या'नी ज़ख़्मों और फोड़े फुन्सियों का इ़लाज करने वाले डॉक्टर) ने इस अंगूठे का ऑप्रेशन किया । पट्टी (Bandage) बांधने के बा'द उन्हों ने अ़र्ज़ की : ह़ुज़ूर ! अगर ह़रकत न करेंगे, तो येह ज़ख़्म दस, बारह रोज़ में ठीक हो जाएगा, वरना ज़ियादा वक़्त लगेगा । वोह येह कह कर चले गए । येह कैसे मुमकिन हो सकता है कि मस्जिद की ह़ाज़िरी और जमाअ़त की पाबन्दी छोड़ दी जाए । जब ज़ोहर का वक़्त आया, तो आ'ला ह़ज़रत رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ ने वुज़ू किया, खड़े न हो सकते थे, तो बैठ कर बाहर दरवाज़े तक आ गए, लोगों ने कुर्सी