Aala Hazrat Ka Aala Kirdar

Book Name:Aala Hazrat Ka Aala Kirdar

अपने ज़ेहन में नक़्श कर लिया जाए । (मुत़ालआ़ क्या, क्यूं और कैसे ?, स. 112) ٭ अपना एह़तिसाब करना भी फ़ाइदा मन्द है कि मुझे इस मुत़ालए़ से क्या ह़ासिल हुवा ? और कौन सा मवाद ज़ेहन नशीन हुवा और कौन सा नहीं ? (मुत़ालआ़ क्या, क्यूं और कैसे ?, स. 112) ٭ किसी बात को याद करने के लिये आंखें बन्द कर के याद दाश्त पर ज़ोर देना मुफ़ीद है । (मुत़ालआ़ क्या, क्यूं और कैसे ?, स. 117) ٭ जो मुत़ालआ़ करें, उसे अच्छी अच्छी निय्यतों के साथ अपने घर वालों और दोस्तों से बयान करें, इस त़रह़ भी मा'लूमात का ज़ख़ीरा काफ़ी मुद्दत तक दिमाग़ में मह़फ़ूज़ रहेगा । ٭ जो कुछ पढ़ें, उस की दोहराई (Repeat) करते रहिये । (मुत़ालआ़ क्या, क्यूं और कैसे ?, स. 112) अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ मदनी मुज़ाकरों में इ़ल्मे दीन के रंग बिरंगे मदनी फूल इरशाद फ़रमाते हैं, इन मदनी मुज़ाकरों की बरकत से अपने इ़ल्म पर अ़मल करने, उसे दूसरों तक पहुंचाने और मज़ीद मुत़ालआ़ करने का जज़्बा पैदा होता है । (मुत़ालआ़ क्या, क्यूं और कैसे ?, स. 115)

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!      صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد