Aala Hazrat Ka Aala Kirdar

Book Name:Aala Hazrat Ka Aala Kirdar

अफ़्ज़लो आ'ला जानती हैं, ह़ालांकि अल्लाह पाक के नज़दीक वोही मुसलमान ज़ियादा इ़ज़्ज़त व मर्तबे वाला है जो तक़्वा व परहेज़गारी में दूसरों से ज़ियादा हो । चुनान्चे, पारह 26, सूरतुल ह़ुजुरात की आयत नम्बर 13 में इरशाद होता है :

اِنَّ اَكْرَمَكُمْ عِنْدَ اللّٰهِ اَتْقٰىكُمْؕ-اِنَّ اللّٰهَ عَلِیْمٌ خَبِیْرٌ(۱۳)

तर्जमए कन्ज़ुल इ़रफ़ान : बेशक अल्लाह के यहां तुम में ज़ियादा इ़ज़्ज़त वाला वोह है जो तुम में ज़ियादा परहेज़गार है, बेशक अल्लाह जानने वाला, ख़बरदार है ।

        प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! हमारा मुआ़शरा इन्तिहाई तेज़ी के साथ तबाही व बरबादी की त़रफ़ बढ़ रहा है, जिसे देखो वोह अपने ख़ानदान और क़ौम को अफ़्ज़ल समझते हुवे फ़ख़्र करती और दूसरी बिरादरी वालियों को घटिया समझने लगी है, जिस की वज्ह से आपस में नफ़रतें और दुश्मनियां जड़ पकड़ती जा रही हैं, बसा अवक़ात येह दुश्मनियां और लड़ाई, झगड़े, मार धाड़ से बढ़ कर क़त्लो ग़ारत गरी तक पहुंच जाती हैं जब कि प्यारे आक़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने इरशाद फ़रमाया : ऐ लोगो ! तुम्हारा रब्बे करीम एक है और तुम्हारे वालिद एक हैं । सुन लो ! किसी अ़रबी को अ़जमी (ग़ैरे अ़रबी) पर, किसी अ़जमी (ग़ैरे अ़रबी) को अ़रबी पर, किसी गोरे को काले पर और किसी काले को गोरे पर कोई फ़ज़ीलत ह़ासिल नहीं, अलबत्ता जो परहेज़गार है वोह दूसरों से अफ़्ज़ल है, बेशक अल्लाह पाक की बारगाह में तुम में से ज़ियादा इ़ज़्ज़त वाला वोह है जो तुम में ज़ियादा परहेज़गार है । ( شعب الایمان،باب فی حفظ اللسان،فصل فی حفظ اللسان عن الفخربالاباء ،۴/۲۸۹،حدیث: ۵۱۳۷)

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!     صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

        प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! इमामे अहले सुन्नत رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ का एक कारनामा येह भी है कि आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ ने उम्मत की आसानी और ख़ैर ख़्वाही के जज़्बे के तह़त इ़ल्म को फैलाने के लिये निहायत उ़म्दा और ज़बरदस्त तर्जमए क़ुरआन "कन्ज़ुल ईमान" को ज़बानी लिखवा दिया, जिस को उ़लमाए किराम ने बिल्कुल शरीअ़त के मुत़ाबिक़ पाया ।

        प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! बेशक क़ुरआने पाक अल्लाह करीम के अह़कामात के मुत़ाबिक़ ज़िन्दगी गुज़ारने का त़रीक़ा बताने वाली एक मुकम्मल किताब है, क़ुरआने करीम दुन्या में रहने वाले मुसलमानों के लिये हिदायत ह़ासिल करने का बेहतरीन ज़रीआ़ है मगर क़ुरआन के अल्फ़ाज़ के मआ़नी और उस में मौजूद अल्लाह पाक के अह़कामात को जानने के लिये उस का तर्जमा भी इन्तिहाई ज़रूरी है । اَلْحَمْدُ لِلّٰہ क़ुरआने करीम के मौजूदा तमाम उर्दू तर्जमों में सब से बेहतरीन उर्दू तर्जमा "तर्जमए क़ुरआन, कन्ज़ुल ईमान" है । लिहाज़ा हमें चाहिये कि हम अपनी मसरूफ़ ज़िन्दगी में से कुछ वक़्त निकाल कर क़ुरआने पाक की तिलावत करने का मा'मूल बनाएं ।

          शैख़े त़रीक़त, अमीरे अहले सुन्नत, बानिये दा'वते इस्लामी, ह़ज़रते अ़ल्लामा मौलाना अबू बिलाल मुह़म्मद इल्यास अ़त़्त़ार क़ादिरी रज़वी دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ तर्जमा व तफ़्सीर के साथ रोज़ाना तिलावते क़ुरआन करने के लिये इस्लामी बहनों के लिये मदनी इनआ़म नम्बर 5 में फ़रमाते हैं : क्या आज आप ने कन्ज़ुल ईमान से कम अज़ कम तीन