Book Name:Faizan e Imam Bukhari
को मह़फ़ूज़ करने के लिये तह़रीर कर लेते थे । 16 दिन (Sixteen Days) गुज़र जाने के बा'द एक रोज़ हम ने ह़ज़रते सय्यिदुना इमाम बुख़ारी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ को डांटा कि तुम ने अह़ादीस मह़फ़ूज़ न कर के इतने दिनों की मेह़नत ज़ाएअ़ कर दी । येह सुन कर ह़ज़रते सय्यिदुना इमाम बुख़ारी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ ने हम से कहा : अच्छा तुम अपने तह़रीरी सफ़ह़ात ले आओ ! चुनान्चे हम अपने अपने सफ़ह़ात ले आए । ह़ज़रते सय्यिदुना इमाम बुख़ारी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ ने अह़ादीस सुनानी शुरूअ़ कर दीं, यहां तक कि उन्हों ने 15000 से ज़ियादा अह़ादीस बयान कर डालीं, जिन्हें सुन कर हमें यूं गुमान होता था कि गोया हमें येह रिवायात ह़ज़रते सय्यिदुना इमाम बुख़ारी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ ने ही लिखवाई हैं । (ارشاد السارى،ترجمۃ الامام بخاری ،۱/۵۹)
सत्तर हज़ार ह़दीसों के ह़ाफ़िज़
एक मरतबा ह़ज़रते सय्यिदुना सुलैमान बिन मुजाहिद رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ ह़ज़रते सय्यिदुना मुह़म्मद बिन सलाम رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ की बारगाह में ह़ाज़िर हुवे, तो ह़ज़रते सय्यिदुना मुह़म्मद बिन सलाम رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ ने ह़ज़रते सय्यिदुना सुलैमान बिन मुजाहिद رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ से फ़रमाया : अगर आप कुछ देर पहले आ जाते, तो मैं आप को वोह बच्चा दिखाता जिस को सत्तर हज़ार ह़दीसें याद हैं । येह ह़ैरत में मुब्तला करने वाली बात सुन कर ह़ज़रते सय्यिदुना सुलैमान رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ के दिल में ह़ज़रते सय्यिदुना इमाम बुख़ारी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ से मुलाक़ात का शौक़ पैदा हुवा । चुनान्चे, ह़ज़रते सय्यिदुना मुह़म्मद बिन सलाम رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ की बारगाह से फ़ारिग़ होने के बा'द ह़ज़रते सय्यिदुना सुलैमान बिन मुजाहिद رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ ने ह़ज़रते सय्यिदुना इमाम बुख़ारी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ को तलाश करना शुरूअ़ कर दिया । जब (ह़ज़रते सय्यिदुना इमाम बुख़ारी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ से) मुलाक़ात हुई, तो ह़ज़रते सय्यिदुना सुलैमान बिन मुजाहिद رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ ने इरशाद फ़रमाया : क्या सत्तर हज़ार अह़ादीस को याद करने वाले आप ही हैं ? येह सुन कर ह़ज़रते सय्यिदुना इमाम बुख़ारी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ ने अ़र्ज़ की : जी हां ! मुझे तो इस से भी ज़ियादा अह़ादीस याद हैं और जिन सह़ाबए किराम عَلَیْہِمُ الرِّضْوَان और ताबेई़न से मैं ह़दीस रिवायत करता हूं, उन में से अक्सर की तारीख़े पैदाइश, रिहाइश और तारीख़े विसाल को भी मैं जानता हूं । (ارشاد الساری،ترجمۃ الامام البخاری،۱/۵۹)
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد
سُبْحٰنَ اللّٰہ ! आप ने सुना कि ह़ज़रते सय्यिदुना इमाम बुख़ारी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ का ह़ाफ़िज़ा कितना शानदार था ! आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ ने बचपन ही में न सिर्फ़ सत्तर हज़ार से ज़ाइद अह़ादीसे करीमा को याद फ़रमा लिया बल्कि उन ह़दीसों को रिवायत करने वाले अक्सर बुज़ुर्गों की तारीख़े पैदाइश, रिहाइश और तारीख़े विसाल को भी याद कर लिया । बिला शुबा येह अल्लाह पाक के ख़ास फ़ज़्लो एह़सान और नबिय्ये करीम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के ख़ुसूसी फै़ज़ान का कमाल था कि लोग आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ की याद रखने वाली क़ुव्वत की ता'रीफ़ किया करते थे जब कि आज हमारे ह़ाफ़िज़े कमज़ोर (Weak) होते जा रहे हैं, हमें तो गुज़रे हुवे कल की मा'मूली बातें भी याद नहीं रहतीं, ई़सवी महीने और उन की तारीख़ें तो याद रहती हैं मगर अफ़्सोस ! मदनी या'नी चांद के महीनों और उन की तारीख़ों से बे ख़बर