Faizan e Imam Bukhari

Book Name:Faizan e Imam Bukhari

عَلَیْہ फ़रमाते हैं : मैं ने अ़र्ज़ की : या रसूलल्लाह صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ! मेरी जान आप (صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ) पर क़ुरबान ! आप (صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ) की किताब कौन सी है ? मदनी आक़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने इरशाद फ़रमाया : जामेए़ मुह़म्मद बिन इस्माई़ल या'नी इमाम बुख़ारी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ की किताब "बुख़ारी शरीफ़" । (बोस्तानुल मुह़द्दिसीन, स. 275, मुलख़्ख़सन)

          प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! ग़ौर फ़रमाइये ! जिस किताब को रसूले पाक صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ पसन्द फ़रमाएं और उसे अपनी त़रफ़ मन्सूब फ़रमाएं, तो अन्दाज़ा लगाइये कि उसे पढ़ने, सुनने और उस का ख़त्म करने वालियों को इस की कैसी कैसी बरकतें नसीब होंगी । आइये ! तरग़ीब के लिये ख़त्मे बुख़ारी की चन्द बरकतें मुलाह़ज़ा कीजिये । चुनान्चे,

ख़त्मे बुख़ारी के फ़वाइद

          (बा'ज़) आ़रिफ़ीन رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہِمْ اَجْمَعِیْن से मन्क़ूल है : अगर किसी मुश्किल में सह़ीह़ बुख़ारी को पढ़ा जाए, तो वोह मुश्किल ह़ल हो जाती है और जिस किश्ती (Boat) में सह़ीह़ बुख़ारी हो, वोह ग़र्क़ नहीं होती । ह़ाफ़िज़ इबने कसीर رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ फ़रमाते हैं : ख़ुश्क साली में सह़ीह़ बुख़ारी पढ़ने से बारिश हो  जाती है । (तज़किरतुल मुह़द्दिसीन, स. 198) मश्हूर मुह़द्दिस, ह़ज़रते सय्यिदुना शैख़ अ़ब्दुल अ़ज़ीज़ मुह़द्दिसे देहलवी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ फ़रमाते हैं : सख़्ती के वक़्त, दुश्मन के ख़ौफ़, मरज़ की सख़्ती और दीगर बलाओं में इस किताब का पढ़ना इ़लाज का काम देता है, अक्सर इस का तजरिबा हो चुका है । (बोस्तानुल मुह़द्दिसीन, स. 274, मुलख़्ख़सन)

        ह़कीमुल उम्मत, ह़ज़रते मुफ़्ती अह़मद यार ख़ान नई़मी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ फ़रमाते हैं : बा'दे क़ुरआन शरीफ़ सह़ीह़ तर किताब "बुख़ारी शरीफ़" मानी गई है । मुसीबतों में ख़त्मे बुख़ारी किया जाता है, जिस की बरकत और अल्लाह पाक के फ़ज़्ल से मुसीबतें टल जाती हैं । (मिरआतुल मनाजीह़, 1 / 11, मुलख़्ख़सन)

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!      صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

          आ़शिक़ाने रसूल इस्लामी बहनो ! रमज़ानुल मुबारक का पाकीज़ा महीना हमारे दरमियान अपनी बरकतें व रह़मतें लुटा रहा है, इस मुबारक महीने में अल्लाह करीम के एक मुक़र्रब वली का यौमे विलादत भी मनाया जाता है, जिन्हें दुन्या शैख़े त़रीक़त, अमीरे अहले सुन्नत, बानिये दा'वते इस्लामी, ह़ज़रते अ़ल्लामा मौलाना अबू बिलाल मुह़म्मद इल्यास अ़त़्त़ार क़ादिरी रज़वी ज़ियाई دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ के नाम से जानती है । आइये ! आप دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ के यौमे विलादत की मुनासबत से ज़िक्रे अ़त़्त़ार सुनती हैं । चुनान्चे,

26 रमज़ानुल मुबारक जशने विलादते अ़त़्त़ार

          शैख़े त़रीक़त, अमीरे अहले सुन्नत, बानिये दा'वते इस्लामी, ह़ज़रते अ़ल्लामा मौलाना अबू बिलाल मुह़म्मद इल्यास अ़त़्त़ार क़ादिरी रज़वी ज़ियाई دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ 26 रमज़ानुल मुबारक 1369 हि., ब मुत़ाबिक़ 1950 ई़, में पाकिस्तान के मश्हूर शहर बाबुल मदीना "कराची" में पैदा हुवे । अमीरे अहले सुन्नत के आबाओ अज्दाद हिन्द के सूबा "गुजरात" में मुक़ीम थे । आप دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ के दादाजान "अ़ब्दुर्रह़ीम" رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ की नेक