Faizan e Imam Bukhari

Book Name:Faizan e Imam Bukhari

चूंकि शव्वालुल मुकर्रम के मुबारक महीने में आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ की पैदाइश हुई थी और इसी महीने में आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ का उ़र्से मुबारक भी है, लिहाज़ा इसी मुनासबत से आज हम मश्हूर मुह़द्दिस, ह़ज़रते सय्यिदुना इमाम बुख़ारी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ का मुख़्तसर तआ़रुफ़ और आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ की पाकीज़ा सीरत के मुख़्तलिफ़ पहलूओं के बारे में सुनने की सआ़दत ह़ासिल करेंगे । आइये ! पहले ह़ज़रते सय्यिदुना इमाम बुख़ारी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ के ज़ौके़ इ़बादत पर मुश्तमिल एक ईमान अफ़रोज़ वाक़िआ़ सुन कर अपने अन्दर ज़ौके़ इ़बादत को बेदार करने की कोशिश करती हैं । चुनान्चे,

इमाम बुख़ारी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ का ज़ौके़ इ़बादत

          एक मरतबा मश्हूर मुह़द्दिस, ह़ज़रते सय्यिदुना इमाम बुख़ारी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ को आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ के बा'ज़ शागिर्दों ने दा'वत दी, तो आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ तशरीफ़ ले गए । जब नमाज़े ज़ोहर का वक़्त हुवा, तो आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ ने नमाज़ पढ़ी फिर नवाफ़िल शुरूअ़ फ़रमा दिये । जब फ़ारिग़ हुवे, तो क़मीस का एक किनारा उठाते हुवे किसी से कहा : देखो ! मेरी क़मीस के अन्दर क्या चीज़ है ? देखा तो एक ज़हरीला कीड़ा था जिस ने 16 या 17 मक़ामात पर डंक मारा था, जिस के सबब आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ का जिस्मे मुबारक सूज चुका था । लोगों ने कहा : जब इस ने पहला डंक मारा था, तो आप उसी वक़्त नमाज़ से बाहर क्यूं न हुवे ? फ़रमाया : मैं ने एक सूरत शुरूअ़ कर रखी थी, दिल ने चाहा कि वोह पूरी हो जाए (तो फिर सलाम फेरूंगा) । (تاریخ بغداد،۲/ ۱۳)

        प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! आइये ! मुह़द्दिस की ता'रीफ़ सुनती हैं । चुनान्चे,

मुह़द्दिस की ता'रीफ़

          जो अह़ादीसे नबवी में मसरूफ़ व मश्ग़ूल हो, उसे "मुह़द्दिस" कहा जाता है । (نزہۃ النظرفی توضیح نخبۃ الفکر،ص۴۱)

विलादत व सिलसिलए नसब

        मश्हूर मुह़द्दिस, ह़ज़रते सय्यिदुना इमाम बुख़ारी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ की विलादत मश्हूर शहर "बुख़ारा" में 13 शव्वाल सिने 194 (हिजरी) बरोज़ जुमुआ़ बा'द नमाज़े अ़स्र हुई । ह़ज़रते सय्यिदुना इमाम बुख़ारी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ का नाम "मुह़म्मद" और कुन्यत "अबू अ़ब्दुल्लाह" है । आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ का सिलसिलए नसब येह है : मुह़म्मद बिन इस्माई़ल बिन इब्राहीम बिन मुग़ीरा । ह़ज़रते सय्यिदुना इमाम बुख़ारी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ के पर दादा "मुग़ीरा" खेती बाड़ी करने वाले और ग़ैरे ख़ुदा की इ़बादत करने वाले थे लेकिन बा'द में ह़ाकिमे बुख़ारा "यमान जु'फ़ी" के हाथ पर इस्लाम लाए । ह़ज़रते सय्यिदुना इमाम बुख़ारी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ ने तक़रीबन 62 साल की उ़म्र पाई और (यकुम शव्वाल) सिने 256 हिजरी बरोज़ हफ़्ता ई़दुल फ़ित़्र की रात बीमारी की ह़ालत में विसाले ज़ाहिरी फ़रमाया । समरक़न्द (उज़बुकिस्तान) से कुछ फ़ासिले पर "ख़रतन्क" नामी बस्ती में आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ का आ़लीशान मज़ारे मुबारक है ।  (اشعة اللمعات، ۱/۹ -۱۳ملتقطاً, ارشاد  الساری،ترجمۃ الامام بخاری ، ۱/۵۵-۵۶ ملتقطاً)