Faizan e Imam Bukhari

Book Name:Faizan e Imam Bukhari

  1. उठाएगा कि वोह फ़क़ीह होगा, मैं क़ियामत के दिन उस की शफ़ाअ़त करूंगा और उस के लिये गवाही दूंगा । (مشکاۃ المصابیح،کتاب العلم، الفصل الثالث،۱/۶۸،حدیث:۲۵۸ )
  2. फ़रमाया : अल्लाह पाक उस को तरो ताज़ा रखे जो मेरी ह़दीस को सुने, याद रखे और दूसरों तक पहुंचाए । (تِرمِذی، ۴/۲۹۸،حدیث:۲۶۶۵)

٭ इस्लाम में कलामुल्लाह (या'नी क़ुरआने करीम) के बा'द कलामे रसूलिल्लाह (या'नी अह़ादीसे मुबारका) का दरजा है । (मिरआतुल मनाजीह़, 1 / 2) ٭ हर इन्सान पर ह़ुज़ूर عَلَیْہِ السَّلَام की इत़ाअ़त फ़र्ज़ है और येह इत़ाअ़त बिग़ैर ह़दीस व सुन्नत जाने ना मुमकिन है । (मिरआतुल मनाजीह़, 1 / 9) ٭ अह़ादीस से इन्कार के बा'द क़ुरआन पर ईमान का दा'वा बात़िले मह़्ज़ है । (नुज़्हतुल क़ारी, 1 / 36) ٭ जब तक येह मा'लूम न हो जाए कि येह वाके़ई़ ह़दीसे मुबारका है, उस वक़्त तक बयान न करें । (फै़ज़ाने फ़ारूके़ आ'ज़म, 2 / 451) ٭ आक़ा عَلَیْہِ السَّلَام का फ़रमान है : जब तक तुम्हें यक़ीनी इ़ल्म न हो, मेरी त़रफ़ से ह़दीस बयान करने से बचो ! जिस ने जान बूझ कर मेरी त़रफ़ झूट मन्सूब किया, उसे चाहिये कि वोह अपना ठिकाना दोज़ख़ में बना ले । (ترمذی، کتاب تفسیر القرآن عن رسول اللہ،باب ماجاء فی الذی۔۔۔الخ،۴/۴۳۹،حدیث:۲۹۶۰)

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!      صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد