Faizan e Imam Bukhari

Book Name:Faizan e Imam Bukhari

अ़त़ा किये हुवे इस मदनी मक़्सद को पूरा करने के लिये कोशां रहें कि "मुझे अपनी और सारी दुन्या के लोगों की इस्लाह़ की कोशिश करनी है ।" اِنْ شَآءَ اللہ

          प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! रमज़ानुल मुबारक के बा'द शव्वालुल मुकर्रम की आमद आमद है । ख़ुश नसीब मुसलमान इस महीने में एहतिमाम के साथ ई़दुल फ़ित़्र के बा'6 रोज़े रखने की सआ़दत ह़ासिल करते और इस की बरकतें पाते हैं । आइये ! हम भी शश ई़द के रोज़ों के फ़ज़ाइल सुनती हैं ताकि हमें भी येह रोज़े रखने और इन की बरकतों से फै़ज़याब होने की सआ़दत नसीब हो । चुनान्चे,

शश ई़द के रोज़ों के फ़ज़ाइल

  1. इरशाद फ़रमाया : जिस ने रमज़ान के रोज़े रखे फिर छे दिन शव्वाल में रखे, तो गुनाहों से ऐसे निकल गया, जैसे आज ही मां के पेट से पैदा हुवा है । (مجمع الزوائد،کتاب الصیام،باب فیمن صام الخ،۳ /۴۲۵،حدیث:۵۱۰۲)
  2. इरशाद फ़रमाया : जिस ने रमज़ान के रोज़े रखे फिर उन के बा'द छे शव्वाल में रखे, तो ऐसा है जैसे उ़म्र भर का रोज़ा रखा । (مسلِم،کتاب الصیام،باب استحباب صومالخ،ص ۵۹۲، حدیث: ۲۷۵۸)
  3. इरशाद फ़रमाया : जिस ने ई़दुल फ़ित़्र के बा'द (शव्वाल में) छे रोज़े रख लिये, तो उस ने पूरे साल के रोज़े रखे कि जो एक नेकी लाएगा, उसे दस मिलेंगी । ( ابن ماجہ،کتاب الصیام،باب الصیام ستۃ ایام الخ،۲/۳۳۳، حدیث:۱۷۱۵)

        ख़लीले मिल्लत, ह़ज़रते अ़ल्लामा मौलाना मुफ़्ती मुह़म्मद ख़लील ख़ान क़ादिरी बरकाती رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ फ़रमाते हैं : येह रोज़े ई़द के बा'द मुसल्सल रखे जाएं तब भी ह़रज नहीं और बेहतर येह है कि हर हफ़्ते में दो रोज़े और

ई़दुल फ़ित़्र के दूसरे रोज़ एक रोज़ा रख ले और पूरे माह में रखे, तो और भी मुनासिब (Suitable) मा'लूम होता है । (सुन्नी बिहिश्ती ज़ेवर, स. 347, मुलख़्ख़सन) अल ग़रज़ ! ई़दुल फ़ित़्र का दिन छोड़ कर सारे महीने में जब चाहें शश ई़द के रोज़े रख सकती हैं ।

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!      صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

ह़दीसे पाक के बारे में मदनी फूल

          प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! बयान को इख़्तिताम की त़रफ़ लाते हुवे सुन्नत की फ़ज़ीलत और चन्द मदनी फूल बयान करने की सआ़दत ह़ासिल करती हूं । शहनशाहे नुबुव्वत, मुस्त़फ़ा जाने रह़मत صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ का फ़रमाने जन्नत निशान है : जिस ने मेरी सुन्नत से मह़ब्बत की, उस ने मुझ से मह़ब्बत की और जिस ने मुझ से मह़ब्बत की, वोह जन्नत में मेरे साथ होगा । आइये ! ह़दीसे पाक के बारे में चन्द मदनी फूल सुनने की सआ़दत ह़ासिल करती हैं । पहले 2 फ़रामीने मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ मुलाह़ज़ा कीजिये :

फ़रमाया : जो शख़्स दीनी मुआ़मलात के बारे में चालीस ह़दीसें याद कर के मेरी उम्मत तक पहुंचा देगा, अल्लाह पाक (क़ियामत के दिन) उस को इस शान के साथ