Faizan e Imam Bukhari

Book Name:Faizan e Imam Bukhari

। जब सुब्ह़ हुई, तो देखा कि ह़ज़रते सय्यिदुना इमाम बुख़ारी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ की आंखें (Eyes) रौशन हो चुकी थीं । ( تَفہیمُ البخاری،۱/۴ ملخصاً)

          प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! आप ने सुना कि अल्लाह करीम ने मां की दुआ़ में कैसी तासीर रखी है कि मां जब अपनी औलाद के ह़क़ में दुआ़ करती है, तो रब्बे करीम उस के उठे हुवे हाथों की लाज रखता और औलाद के ह़क़ में उस की दुआ़ क़बूल फ़रमाता है ।اَلْحَمْدُ لِلّٰہ  मां वोह मेहरबान हस्ती है जो औलाद के लिये रो रो कर दुआ़एं करती है, मां की दुआ़ जन्नत में ले जाती है, मां की दुआ़ रब्बे करीम का फ़रमां बरदार बनाती है, मां की दुआ़ बुराइयों से बचाती है, मां की दुआ़ औलाद को मक़ामे विलायत तक पहुंचा देती है, मां की दुआ़ औलाद की क़िस्मत संवार देती है, मां की दुआ़ औलाद के ह़क़ में क़बूल होती है, मां की दुआ़ काम्याबियां दिलाती है, मां की दुआ़ रह़मत उतरने का सबब है, मां की दुआ़ गुनाहों की मुआ़फ़ी का ज़रीआ़ है, मां की दुआ़ की बरकत से रब्बे करीम औलाद से मुसीबतों और आज़माइशों को टाल देता है ।

          अल्लाह करीम हमें अपनी मां की ख़िदमत करने, उन की फ़रमां बरदारी करने, उन्हें राज़ी रखने और उन से दुआ़एं लेने वाले काम करने की तौफ़ीक़ व सआ़दत नसीब फ़रमाए । آمِیْن بِجَاہِ النَّبِیِ الْاَمِیْن صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!      صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

          प्यारी प्यारी इस्लामी बहनो ! अगर हम मुह़द्दिसीने किराम رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہِمْ اَجْمَعِیْن की सीरते मुबारका का जाइज़ा लें, तो उन की पाकीज़ा सीरत में हमें येह मदनी फूल जगमगाता हुवा दिखाई देगा कि इन ह़ज़रात ने इ़ल्मे ह़दीस ह़ासिल करने और अह़ादीसे रसूल का फै़ज़ान आ़म करने की ख़ात़िर अपना सब कुछ क़ुरबान कर दिया, ह़त्ता कि इस राह में अपने घर बार को ख़ैर आबाद कह कर दूर दराज़ मुल्कों और शहरों का सफ़र त़ै कर के इ़ल्मे ह़दीस ह़ासिल किया ।

          اَلْحَمْدُ لِلّٰہ ह़ज़रते सय्यिदुना इमाम बुख़ारी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ चूंकि यादगारे अस्लाफ़ थे, लिहाज़ा आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ ने मुह़द्दिसीने किराम  رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہِمْ اَجْمَعِیْنके नक़्शे क़दम पर चलते हुवे इसी मक़्सद की ख़ात़िर अपना वत़न छोड़ा, दूर दराज़ शहरों का सफ़र इख़्तियार फ़रमाया और इन्तिहाई कम उ़म्र में ही मैदाने ह़दीस में अपनी सलाह़िय्यतों का भरपूर इस्ति'माल किया । आइये ! ह़ज़रते सय्यिदुना इमाम बुख़ारीرَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ  के शौके़ इ़ल्म की चन्द झल्कियां मुलाह़ज़ा कीजिये । चुनान्चे,

ज़मानए ता'लीम

          ह़ज़रते सय्यिदुना मुह़म्मद बिन इस्माई़ल बुख़ारी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ जब दस साल के हुवे, तो इब्तिदाई और ज़रूरी ता'लीम ह़ासिल कर चुके थे, अल्लाह पाक ने आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ के दिल में इ़ल्मे ह़दीस ह़ासिल करने का शौक़ पैदा किया, तो आप رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ ने "बुख़ारा" में (इ़ल्मे ह़दीस ह़ासिल करने के लिये एक मद्रसे में) दाख़िला ले लिया, इ़ल्मे ह़दीस इन्तिहाई मेह़नत से ह़ासिल किया । 16 साल की उ़म्र में ह़ज़रते सय्यिदुना इमाम बुख़ारी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ