Book Name:Bazurgan-e-Deen Ka Jazba-e-Islah-e-Ummat
पस्त आवाज़ से जवाब दूंगी । ٭ इजतिमाअ़ के बा'द ख़ुद आगे बढ़ कर सलाम व मुसाफ़ह़ा और इनफ़िरादी कोशिश करूंगी । ٭ दौराने बयान मोबाइल के ग़ैर ज़रूरी इस्ति'माल से बचूंगी, न बयान रीकॉर्ड करूंगी, न ही और किसी क़िस्म की आवाज़ (कि इस की इजाज़त नहीं) । जो कुछ सुनूंगी, उसे सुन और समझ कर, उस पे अ़मल करने और उसे बा'द में दूसरों तक पहुंचा कर नेकी की दा'वत आम करने की सआदत ह़ासिल करूंगी ।
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد
मीठी मीठी इस्लामी बहनो ! नेकी की दा'वत देने और बुराई से मन्अ़ करने के बहुत फ़ज़ाइलो बरकात हैं । येही वज्ह है कि हमारे बुज़ुर्गाने दीन رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہِمْ اَجْمَعِیْن नेकी का ह़ुक्म देने और बुराई से मन्अ़ करने में सुस्ती नहीं करते थे । अगर हम तारीख़े इस्लाम का मुत़ालआ़ करें, तो हम पर येह बात रोज़े रौशन की त़रह़ ज़ाहिर हो जाती है कि औलियाए किराम رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہِمْ اَجْمَعِیْن ने अपने वक़्त का सह़ीह़ इस्ति'माल करते हुवे आने वाली नस्लों की आसानी और इ़ल्मे दीन को आ़म करने के अ़ज़ीम जज़्बे के पेशे नज़र बे शुमार उ़लूम पर किताबें लिखीं । इन बुज़ुर्गाने दीन رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہِمْ اَجْمَعِیْن ने नेकी की दा'वत के अ़ज़ीम मक़्सद के लिये अपने वक़्त और घर बार की क़ुरबानियां दीं । तसव्वुर करें ! तो तारीख़ के सफ़ह़ात पर कहीं इमामे आ'ज़म رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ इ़ल्मे दीन के मोती लुटाते दिखाई देते हैं, तो कहीं ग़ौसे पाक رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ नूरे इ़ल्म से लोगों के दिलों को रौशन फ़रमाते हैं, कहीं इमामे ग़ज़ाली رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ इस्लाह़े उम्मत फ़रमा रहे हैं, तो कहीं इमाम अह़मद रज़ा ख़ान رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ जैसी अ़ज़ीम हस्ती ने अपनी तह़रीरों के ज़रीए़ इ़ल्म के प्यासों को सैराब फ़रमाया ।
اَلْحَمْدُلِلّٰہ इस दौर में शैख़े त़रीक़त, अमीरे अहले सुन्नत, बानिये दा'वते इस्लामी, ह़ज़रते अ़ल्लामा मौलाना अबू बिलाल मुह़म्मद इल्यास अ़त़्त़ार क़ादिरी रज़वी ज़ियाई دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ ने सारी दुन्या में नेकी की दा'वत आ़म