Nabi e Kareem Kay Mubarak Ashaab ki Fazilat

Book Name:Nabi e Kareem Kay Mubarak Ashaab ki Fazilat

जाने की वज्ह से होते थे, अल्लाह पाक ने उन्हें फ़क़ीरों और ग़रीबों का पेश्वा बनाया । अल्लाह पाक हमें भी अस्ह़ाबे सुफ़्फ़ा عَلَیْہِمُ الرِّضْوَان की मह़ब्बत में ज़िन्दगी गुज़ारते हुवे ईमान व आ़फ़िय्यत के साथ शहादत की मौत अ़त़ा फ़रमाए, जन्नत में नबिय्ये करीम صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ और आप صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के प्यारे सह़ाबए किराम عَلَیْہِمُ الرِّضْوَان का पड़ोस अ़त़ा फरमाए । याद रखिये ! जो दुन्या में जिस से मह़ब्बत करता है, बरोज़े क़ियामत वोह उसी के साथ रहेगा ।

अह़ादीसे मुबारका और मह़ब्बते सह़ाबा

          ह़ज़रते सय्यिदुना अनस رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ फ़रमाते हैं कि एक शख़्स ने नूर के पैकर, तमाम नबियों के सरवर, दो जहां के ताजवर, सुल्त़ाने बह़रोबर صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की बारगाह में अ़र्ज़ की : क़ियामत कब आएगी ? फ़रमाया : तू ने उस के लिये क्या तय्यारी की है ? उस ने अ़र्ज़ की : कुछ नहीं ! मगर मैं अल्लाह पाक और उस के प्यारे रसूल, गुल्शने आमिना के महकते फूल صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ से मह़ब्बत करता हूं । ह़ुज़ूर सरापा नूर, शाहे ग़य्यूर صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने इरशाद फ़रमाया : तुम उसी के साथ रहोगे जिस से मह़ब्बत करते हो । ह़ज़रते सय्यिदुना अनस رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ फ़रमाते हैं : हमें किसी चीज़ से इतनी ख़ुशी नहीं हुई जितनी ख़ुशी आक़ाए नामदार, मदीने के ताजदार صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के इस क़ौल से हुई कि तुम उसी के साथ रहोगे जिस से मह़ब्बत करते हो । ह़ज़रते सय्यिदुना अनस رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ फ़रमाते हैं : मैं, नबिय्ये करीम, मह़बूबे रब्बे अ़ज़ीम, صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ और ह़ज़रते सिद्दीक़ व उ़मर رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْھُمَا के साथ मह़ब्बत करता हूं, मुझे उम्मीद है कि इन से मह़ब्बत करने की वज्ह से (बरोज़े क़ियामत) मैं इन्हीं के साथ रहूंगा ।

(بخاری،کتاب فضائل اصحاب النبی،باب مناقب عمر بن خطاب۔۔۔الخ،۲/۵۲۷،حدیث: ۳۶۸۸)

          ह़ज़रते सय्यिदुना अनस رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ से मरवी है, सरकारे नामदार, दो आ़लम के मालिको मुख़्तार, शहनशाहे अबरार صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ का फ़रमाने नूरबार है : जो अल्लाह पाक से मह़ब्बत करता है, उसे चाहिये कि वोह मुझ से मह़ब्बत करे और जो मुझ से मह़ब्बत करता है, उसे चाहिये कि वोह मेरे सह़ाबा से मह़ब्बत करे और जो मेरे सह़ाबा से मह़ब्बत करता है, उसे चाहिये कि वोह क़ुरआने पाक से मह़ब्बत करे और जो क़ुरआने पाक से मह़ब्बत करता है, उसे चाहिये कि वोह मसाजिद से मह़ब्बत करे क्यूंकि येह ऐसी इ़मारतें हैं, जिन्हें अल्लाह पाक ने बनाने और पाक रखने का ह़ुक्म दिया और इन में बरकत रखी । पस येह ख़ैरो बरकत की जगहें हैं और इन के रहने वाले भी ख़ैरो बरकत में हैं । येह पसन्दीदा जगहें हैं और इन में रहने वाले भी पसन्दीदा हैं । येह लोग अपनी नमाज़ों में होते हैं, तो अल्लाह पाक इन की ज़रूरत पूरी फ़रमाता है, येह मसाजिद में होते हैं, तो अल्लाह पाक इन को अपने मक़ासिद में काम्याबी अ़त़ा फ़रमाता है । (المجروحین لابن حبان ،ابومعمر،ج۲، ص۵۱۰، الرقم ۱۲۷۱بتغیرٍ, ब ह़वाला : ह़िकायतें और नसीह़तें, स. 487)

      ह़ज़रते सय्यिदुना अबू ज़र ग़िफ़ारी رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ से रिवायत है ह़ज़ूर सरापा नूर, शाफे़ए़ यौमुन्नुशूर, फै़ज़े गन्जूर صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ का फ़रमाने पुरनूर है : जिस ने मेरे