Nabi e Kareem Kay Mubarak Ashaab ki Fazilat

Book Name:Nabi e Kareem Kay Mubarak Ashaab ki Fazilat

किराम का इ़श्के़ रसूल" का मुत़ालआ़ कीजिये । अल्लाह पाक हमें सह़ाबए किराम عَلَیْہِمُ الرِّضْوَان की सीरत पर चलते हुवे ज़िन्दगी बसर करने की तौफ़ीक़ अ़त़ा फ़रमाए ।

 اٰمِیْن بِجَاہِ النَّبِیِ الْاَمِیْن صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!   صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد

मजलिसे ख़ुद्दामुल मसाजिद

          मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! اَلْحَمْدُ لِلّٰہ आ़शिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक दा'वते इस्लामी कमो बेश 104 शो'बाजात में मदनी काम कर रही है, इन्ही में से एक "मजलिसे ख़ुद्दामुल मसाजिद" भी है । इस मजलिस के तह़्त जिन अ़लाक़ों में मसाजिद की ह़ाजत होती है, वहां मसाजिद क़ाइम की जाती हैं, उन की आबाद कारी या'नी वहां अइम्मा व मोअज़्ज़िनीन व ख़ुत़बा की तक़र्रुरी और उन के मुशाहरों की तरकीब भी इसी मजलिस के तह़्त होती है । येह मजलिस दर अस्ल अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ की मसाजिद से उल्फ़तो मह़ब्बत का नतीजा है । आप का येह दर्द है कि मसाजिद को आबाद किया जाए । इस का अन्दाज़ा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि आप ने दा'वते इस्लामी को "मस्जिद भरो तह़रीक" क़रार दिया है । आप वक़्तन फ़-वक़्तन हफ़्तावार इजतिमाआ़त व मदनी मुज़ाकरों में मसाजिद को आबाद करने की तरग़ीब दिलाते रहते हैं । काश ! हम भी अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ की मदनी सोच के मुत़ाबिक़ मसाजिद बनाने और लोगों पर इनफ़िरादी कोशिश कर के मसाजिद को आबाद करने वाले बन जाएं । اٰمِیْن بِجَاہِ النَّبِیِ الْاَمِیْن صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!   صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد

चलने की सुन्नतें और आदाब

          आइये ! शैख़े त़रीक़त, अमीरे अहले सुन्नत, ह़ज़रते अ़ल्लामा मौलाना अबू बिलाल मुह़म्मद इल्यास अ़त़्त़ार क़ादिरी रज़वी ज़ियाई دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ के रिसाले "163 मदनी फूल" से चलने की सुन्नतें और आदाब सुनते हैं ।  पारह 15, सूरए बनी इस्राईल की आयत नम्बर 37 में इरशादे बारी है :

وَ لَا تَمْشِ فِی الْاَرْضِ مَرَحًاۚ-اِنَّكَ لَنْ تَخْرِقَ الْاَرْضَ وَ لَنْ تَبْلُغَ الْجِبَالَ طُوْلًا(۳۷)

तर्जमए कन्ज़ुल इ़रफ़ान : और ज़मीन में इतराते हुवे न चल, बेशक तू हरगिज़ न ज़मीन को फाड़ देगा और न हरगिज़ बुलन्दी में पहाड़ों को पहुंच जाएगा ।

٭ फ़रमाने मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ है : एक शख़्स दो चादरें ओढ़े हुवे इतरा कर चल रहा था और घमन्ड में था, तो अल्लाह पाक ने उसे ज़मीन में धंसा दिया, वोह क़ियामत तक धंसता ही जाएगा ।

(مُسلِم،کتاب اللباس والزینۃ،باب تحریم التبختر فی المشی...الخ،ص۱۱۵۶،حدیث:۲۰۸۸)

٭ रसूले अकरम, नूरे मुजस्सम صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ चलते, तो थोड़ा आगे झुक कर चलते गोया कि आप صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ बुलन्दी से उतर रहे हैं ।