Nabi e Kareem Kay Mubarak Ashaab ki Fazilat

Book Name:Nabi e Kareem Kay Mubarak Ashaab ki Fazilat

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!   صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد

          मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! सह़ाबए किराम رِضْوَانُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہِمْ اَجْمَعِیْن की शान निहायत ही बुलन्दो बाला है, अल्लाह करीम और उस के प्यारे ह़बीब, ह़बीबे लबीब صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने इन की ता'रीफ़ बयान फ़रमाई है । याद रहे ! मस्जिदे नबवी के एक किनारे पर एक चबूतरा था जिस पर खजूर की पत्तियों से छत बना दी गई थी, इसी चबूतरे का नाम "सुफ़्फ़ा" है । जो सह़ाबा घर बार नहीं रखते थे, वोह इसी चबूरते पर सोते, बैठते थे और येही लोग "अस्ह़ाबे सुफ़्फ़ा" कहलाते हैं ।

(مدارج النبوت،قسم سوم،باب اول،۲/۶۸ملخصاًوالمواہب اللدنیۃ والزرقانی،ذکر بناء المسجد النبوی...الخ،ج۲،ص۱۸۶)

          अस्ह़ाबे सुफ़्फ़ा رِضْوَانُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہِمْ اَجْمَعِیْن दुन्या के फ़ितनों का शिकार होने और दुन्या की मह़ब्बत में गुम रहने वालों पर दलील बने । येह वोह मुक़द्दस व पाकीज़ा ह़ज़रात हैं जिन्हें अल्लाह पाक ने दुन्या की आराइश व ज़ेबाइश से मह़फ़ूज़ रखा । अस्ह़ाबे सुफ़्फ़ा رِضْوَانُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہِمْ اَجْمَعِیْن ने जब दुन्या की तमन्ना की, तो येह आयते करीमा नाज़िल हुई :

وَ لَوْ بَسَطَ اللّٰهُ الرِّزْقَ لِعِبَادِهٖ لَبَغَوْا فِی الْاَرْضِ(پ۲۵،الشوری:۲۷)

तर्जमए कन्ज़ुल इ़रफ़ान : और अगर अल्लाह अपने सब बन्दों के लिये रिज़्क़ वसीअ़ कर देता, तो ज़रूर वोह ज़मीन में फ़साद फैलाते । (الزھدلابن المبارک،باب التوکل والتواضع،ص۱۹۴،حدیث:۵۵۴)

          ह़ज़रते सय्यिदुना ह़ाफ़िज़ अबू नुऐ़म अह़मद बिन अ़ब्दुल्लाह अस्फ़हानी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ फ़रमाते हैं : अल्लाह करीम ने अस्ह़ाबे सुफ़्फ़ा पर लुत़्फ़ो करम फ़रमाने और उन्हें सरकशी से बचाने के लिये दुन्या को उन से दूर रखा । वोह अल्लाह पाक के अह़कामात की बजा आवरी में तंग दिली से मह़फ़ूज़ रहे और दुन्यावी मश्ग़ूलिय्यात से बचे रहे । दुन्यावी अम्वाल ने उन्हें रुस्वा किया, न ही ह़ालाते ज़माना से उन पर तब्दीली की हवा चली । आइये ! अह़ादीसे मुबारका की रौशनी में अस्ह़ाबे सुफ़्फ़ा की शान सुनते हैं । चुनान्चे,

अस्ह़ाबे सुफ़्फ़ा पर शफ़्क़ते मुस्त़फ़ा

          ह़ज़रते सय्यिदुना अ़ब्दुर्रहमान बिन अबी बक्र رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْھُمَا से रिवायत है कि सुफ़्फ़ा वाले मिस्कीन लोग थे और ह़ुज़ूर नबिय्ये पाक, साह़िबे लौलाक सय्याह़े अफ़्लाक صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने इरशाद फ़रमाया : जिस के पास 2

आदमियों का ख़ाना हो, वोह तीसरे को ले जाए और जिस के पास 4 का ख़ाना हो, वोह पांचवें या छटे को ले जाए, या जिस त़रह़ फ़रमाया । फिर अमीरुल मोमिनीन, ह़ज़रते सय्यिदुना अबू बक्र सिद्दीक़ رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ 3 को और ह़ुज़ूर नबिय्ये रह़मत, शफ़ीए़ उम्मत صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ 10 अफ़राद को साथ ले गए । (صحیح البخاری،کتاب المناقب،باب علامات النبوۃ فی الاسلام،الحدیث:۳۵۸۱،ص۲۹۱)

अहले सुफ़्फ़ा के पास सदक़ा भिजवाया करते

          ह़ज़रते सय्यिदुना अबू हुरैरा رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ फ़रमाते हैं : ह़ुज़ूर नबिय्ये करीम, रऊफ़ुर्रह़ीम صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ मेरे पास से गुज़रे, तो इरशाद फ़रमाया : ऐ अबू हुरैरा ! मैं