Nabi e Kareem Kay Mubarak Ashaab ki Fazilat

Book Name:Nabi e Kareem Kay Mubarak Ashaab ki Fazilat

          ऐ काश ! हमें येह सआ़दत मिल जाए कि हम अपनी नेकियों को भी उसी त़रह़ छुपाएं जिस त़रह़ अपने गुनाहों को छुपाते हैं और बस इसी को काफ़ी समझें कि अल्लाह पाक हमारी नेकियां जानता है । बिल ख़ुसूस पोशीदा नेकी करने के बा'द नफ़्स की ख़ूब निगरानी की जाए क्यूंकि हो सकता है कि इ़बादत ज़ाहिर करने की ह़िर्स नफ़्स के अन्दर जोश मारे और वोह कुछ इस त़रह़ फंसाने की तरकीब करे कि अपनी येह इ़बादत लोगों पर ज़ाहिर कर दे कि इस त़रह़ नेकियां छुपाए रखने से जब लोगों को तेरे मक़ामो मर्तबे का इ़ल्म ही नहीं होगा, तो वोह बेचारे तेरी पैरवी से मह़रूम रह जाएंगे, ऐसे में तू लोगों का मुक़्तदा (या'नी पेश्वा और रहनुमा) कैसे बनेगा तेरे ज़रीए़ नेकी की दा'वत कैसे आ़म होगी ? वग़ैरा ।

          ऐसी सूरत में अल्लाह पाक से इस्तिक़ामत व साबित क़दमी की दुआ़ करनी चाहिये और अपने अ़मल के बदले में मिलने वाली जन्नत की अ़ज़ीमुश्शान दाइमी ने'मत याद करनी चाहिये, ख़ुद को डराना चाहिये कि जो शख़्स अल्लाह पाक की इ़बादत के ज़रीए़ उस के बन्दों से अज्र (या'नी बदले) का त़ालिब होता है, उस पर अल्लाह पाक का ग़ज़ब नाज़िल होता है और येह भी हो सकता है कि दूसरों के सामने अपना अ़मल ज़ाहिर करने की वज्ह से वोह उन के नज़दीक तो मह़बूब (या'नी प्यारा) हो जाए लेकिन अल्लाह पाक के नज़दीक उस का मक़ामो मर्तबा गिर जाए, तो कहीं इस त़रह़ मेरा अ़मल भी ज़ाएअ़ न हो जाए ! फिर नफ़्स को इस त़रह़ समझाए कि मैं किस त़रह़ इस अ़मल को लोगों की ता'रीफ़ के बदले बेच दूं, वोह तो ख़ुद आ़जिज़ व लाचार हैं, न तो वोह मुझे रिज़्क़ दे सकते हैं और न ही मौत व ह़यात के मालिक हैं । लिहाज़ा इ़बादतो रियाज़त, क़ुरआने पाक की तिलावत और दीगर नेक आ'माल करते वक़्त ख़ालिसतन अल्लाह पाक की रिज़ा मक़्सूद होनी चाहिये, वरना अ़मल का सवाब तो हाथ से जाएगा ही बल्कि ऐसा शख़्स रियाकारी की तबाहकारी में गिरिफ़्तार हो कर नाराज़िये रब्बे क़ह्हार का भी ह़क़दार हो सकता है ।

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!        صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد

12 मदनी कामों में से एक मदनी काम "मदनी दर्स"

          मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! अपने अन्दर सह़ाबए किराम رِضْوَانُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہِمْ اَجْمَعِیْن की मह़ब्बत का जज़्बा बेदार करने और रियाकारी की तबाहकारियों से बचने के लिये आ़शिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक दा'वते इस्लामी से वाबस्ता हो कर जै़ली ह़ल्के़ के 12 मदनी कामों में भी ह़िस्सा लीजिये । हर इस्लामी भाई पर कोई न कोई तन्ज़ीमी ज़िम्मेदारी होनी चाहिये, इस ज़िम्मेदारी की बरकत से नमाज़े पंजगाना की अदाएगी की सआ़दत नसीब होगी, इस ज़िम्मेदारी की बरकत से ख़ूब ख़ूब नेकियां करने का मौक़अ़ मिलेगा, इस ज़िम्मेदारी की बरकत से इ़ल्मे दीन सीखने, सिखाने का मौक़अ़ मिलेगा, इस ज़िम्मेदारी की बरकत से मदनी इनआ़मात पर अ़मल और मदनी क़ाफ़िलों में सफ़र की सआ़दत मिलती रहेगी, इस ज़िम्मेदारी की बरकत से अच्छी सोह़बत नसीब होगी, इस ज़िम्मेदारी की बरकत से नफ़रतों की दीवार ख़त्म हो कर अम्न व मह़ब्बत की फ़ज़ा क़ाइम होगी, इस ज़िम्मेदारी