Book Name:Nabi e Kareem Kay Mubarak Ashaab ki Fazilat
وَ الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا وَ هَاجَرُوْا وَ جٰهَدُوْا فِیْ سَبِیْلِ اللّٰهِ وَ الَّذِیْنَ اٰوَوْا وَّ نَصَرُوْۤا اُولٰٓىٕكَ هُمُ الْمُؤْمِنُوْنَ حَقًّاؕ-لَهُمْ مَّغْفِرَةٌ وَّ رِزْقٌ كَرِیْمٌ(۷۴) (پ 10، الانفال، 74)
तर्जमए कन्ज़ुल इ़रफ़ान : और वोह जो ईमान लाए और मुहाजिर बने और अल्लाह की राह में लड़े और जिन्हों ने पनाह दी और मदद की वोही सच्चे ईमान वाले हैं, उन के लिये बख्ि़शश और इ़ज़्ज़त की रोज़ी है ।
इसी त़रह़ पारह 11, सूरए तौबा की आयत 100 में अल्लाह पाक सह़ाबए किराम को अपनी रिज़ा, जन्नत और काम्याबी की ख़ुश ख़बरी सुनाते हुवे इरशाद फ़रमाता है :
رَّضِیَ اللّٰهُ عَنْهُمْ وَ رَضُوْا عَنْهُ وَ اَعَدَّ لَهُمْ جَنّٰتٍ تَجْرِیْ تَحْتَهَا الْاَنْهٰرُ خٰلِدِیْنَ فِیْهَاۤ اَبَدًاؕ-ذٰلِكَ الْفَوْزُ الْعَظِیْمُ(۱۰۰)(پ 11، التوبہ، 100)
तर्जमए कन्ज़ुल इ़रफ़ान : उन सब से अल्लाह राज़ी हुवा और येह अल्लाह से राज़ी हैं और उस ने उन के लिये बाग़ात तय्यार कर रखे हैं जिन के नीचे नहरें बहती हैं, हमेशा हमेशा उन में रहेंगे, येही बड़ी काम्याबी है ।
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد
अह़ादीसे मुबारका और शाने सह़ाबा
سُبْحٰنَ اللّٰہ ! सह़ाबए किराम عَلَیْہِمُ الرِّضْوَان की शान किस क़दर बुलन्दो बाला है कि अल्लाह पाक ने इन के आ'माल क़बूल फ़रमा कर इन्हें अपनी रिज़ा का मुज़्दा, जन्नत की बिशारत और बड़ी काम्याबी की ख़ुश ख़बरी सुना दी । अल्लाह पाक के प्यारे ह़बीब صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने भी मुख़्तलिफ़ मवाके़अ़ पर अपने प्यारे सह़ाबए किराम رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْھُم की अ़ज़मत व शान बयान फ़रमाई है । आइये ! हम भी ह़ुसूले बरकत के लिये सह़ाबा के 5 ह़ुरूफ़ की निस्बत से सह़ाबए किराम عَلَیْہِمُ الرِّضْوَان की अ़ज़मत पर 5 फ़रामीने मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ सुनते हैं :
अ़ज़मते सह़ाबा पर 5 फ़रामीने मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ
1. मेरे सह़ाबा के मुआ़मले में मेरा लिह़ाज़ करना क्यूंकि वोह मेरी उम्मत के बेहतरीन लोग हैं । (حليةالاولیا،۱/۳۱۱)
2. एक शख़्स ने नबिय्ये करीम, रऊफ़ुर्रह़ीम صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ से पूछा : कौन लोग बेहतर हैं ? इरशाद फ़रमाया : बेहतर लोग इस ज़माने के हैं जिस में मैं हूं, इस के बा'द दूसरे ज़माने के और उस के बा'द तीसरे ज़माने के । (مسلم،کتاب فضائل الصحابہ،ص۱۳۷۱، حدیث: ۲۵۳۳)
3. अल्लाह पाक ने मेरे सह़ाबा (رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْھُم) को नबियों और रसूलों (عَلَیْھِمُ الصَّلٰوۃُ وَالسَّلَام) के इ़लावा तमाम जहानों पर फ़ज़ीलत दी है ।
(مجمع الزوائد،کتاب المناقب،باب ماجاء فی اصحاب رسول اللّٰه ،۹/۷۳۶،حدیث:۱۶۳۸۳)
4. उस मुसलमान को जहन्नम की आग नहीं छूएगी जिस ने मेरी या मेरे सह़ाबी की ज़ियारत का शरफ़ ह़ासिल किया हो ।