Book Name:Nabi e Kareem Kay Mubarak Ashaab ki Fazilat
(الشمائل المحمدية للترمذی،باب ما جاء فی مشیۃ رسول اللہ ، ص۸۷ ،رقم:۱۱۸)
٭ अगर कोई रुकावट न हो, तो रास्ते के किनारे किनारे दरमियानी रफ़्तार से चलिये । ٭ न इतना तेज़ कि लोगों की निगाहें आप की त़रफ़ उठें कि दौड़े दौड़े कहां जा रहा है और न इतना आहिस्ता कि देखने वाले को आप बीमार लगें । ٭ राह चलते वक़्त बिला ज़रूरत इधर उधर देखना सुन्नत नहीं, नीची नज़रें किये पुर वक़ार त़रीके़ पर चलिये । ٭ चलने या सीढ़ी चढ़ने, उतरने में येह एह़तियात़ कीजिये कि जूतों की आवाज़ पैदा न हो । ٭ रास्ते में दो औ़रतें खड़ीं हों या जा रही हों, तो उन के बीच में से न गुज़रिये कि ह़दीसे पाक में इस की मुमानअ़त आई है । (ابوداود ،کتاب الادب،باب فی مشی النساء مع الرجال فی الطریق، ۴/۴۷۰،حدیث:۵۲۷۳) ٭ बा'ज़ लोगों की आ़दत होती है कि राह चलते हुवे जो चीज़ भी आड़े आए उसे लातें मारते जाते हैं, येह बिल्कुल ग़ैर मुहज़्ज़ब त़रीक़ा है, इस त़रह़ पाउं ज़ख़्मी होने का भी अन्देशा रहता है । ٭ अख़्बारात या लिखाई वाले डिब्बों, पेकेटों और मिनरल वॉटर की ख़ाली बोतलों वग़ैरा पर लात मारना बे अदबी भी है ।
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد