Nabi e Kareem Kay Mubarak Ashaab ki Fazilat

Book Name:Nabi e Kareem Kay Mubarak Ashaab ki Fazilat

उ़स्माने ग़नी और सय्यिदुना अ़लिय्युल मुर्तज़ा) رِضْوانُ اللہِ تَعَالیٰ عَلَیْہِمْ तमाम मख़्लूके़ इलाही से अफ़्ज़ल हैं, तमाम उममे अव्वलीन व आख़िरीन में कोई शख़्स इन की बुज़ुर्गी व अ़ज़मत व इ़ज़्ज़त व वजाहत व क़बूल व करामत व क़ुर्ब व विलायत को नहीं पहुंचता । (फ़तावा रज़विय्या, 28 / 478)

          सदरुश्शरीआ़, बदरुत़्त़रीक़ा, ह़ज़रते अ़ल्लामा मौलाना मुफ़्ती अमजद अ़ली आ'ज़मी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ फ़रमाते हैं : ख़ुलफ़ाए अरबआ़ राशिदीन के बा'द बक़िय्या अ़शरए मुबश्शरा व ह़ज़राते ह़-सनैन व अस्ह़ाबे बदर व अस्ह़ाबे बैअ़तुर्रिज़्वान के लिये अफ़्ज़लिय्यत है और येह सब क़त़ई़ जन्नती हैं ।

          'ला ह़ज़रत, इमामे अहले सुन्नत, मौलाना शाह इमाम अह़मद रज़ा ख़ान رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ फ़रमाते हैं : जो (शख़्स) ह़ज़राते शैख़ैन رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْھُمَا को

مَعَاذَ اللّٰہ बुरा कहे, काफ़िर है और अगर मौला अ़ली کَرَّمَ اللّٰہُ تَعَالٰی وَجْھَہُ الْکَرِیْم को सिद्दीके़ अक्बर और उ़मरे फ़ारूक़ رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْھُمَا से अफ़्ज़ल बताए, तो काफ़िर न होगा मगर गुमराह है । (फ़तावा रज़विय्या, 14 / 251, 252)

          इन्ही सह़ाबए किराम में से ह़ज़रते सय्यिदुना अमीरे मुआ़विया رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ भी जलीलुल क़द्र सह़ाबी हैं और आप رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ कातिबे वह़्य और शाहाने इस्लाम में से पहले बादशाह हैं । आप رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ की बादशाही अगर्चे सल्त़नत है मगर किस की ? ह़ज़रते मुह़म्मद صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की । ह़ज़रते सय्यिदुना इमामे ह़सन رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ ने ख़ुद ख़िलाफ़त अमीरे मुआ़विया رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ के सिपुर्द कर के इन के हाथ पर बैअ़त फ़रमाई । ह़ज़रते सय्यिदुना अमीरे मुआ़विया या आप के वालिद ह़ज़रते सय्यिदुना अबू सुफ़्यान या वालिदए माजिदा ह़ज़रते हिन्दा رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْھُم की शान में बे अदबी करना भी ह़ुज़ूर صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ को ईज़ा (या'नी तक्लीफ़) देना है ।

(हमारा इस्लाम, स. 112, मुलख़्ख़सन)

          इस के इ़लावा सह़ाबए किराम رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْھُم के बाहम जो वाक़िआ़त हुवे उन में पड़ना ह़राम, ह़राम, सख़्त ह़राम है । मुसलमानों को तो येह देखना चाहिये कि वोह सब ह़ज़रात, आक़ाए दो आ़लम صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के जां निसार और सच्चे ग़ुलाम हैं । (बहारे शरीअ़त, 1 / 254)

क़ुरआने पाक और शाने सह़ाबा

          मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! सह़ाबए किराम رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْھُم की ता'रीफ़ो तौसीफ़ में क़ुरआने पाक में कई मक़ामात पर आयाते मुबारका मौजूद हैं, जिन में उन के अच्छे अ़मल, अच्छे अख़्लाक़ और अच्छे ईमान का तज़किरा है और उन्हें दुन्या में ही मग़फ़िरत और इनआ़माते उख़रवी की ख़ुश ख़बरी सुनाई गई है । जिन मुक़द्दस हस्तियों की शानो अ़ज़मत अल्लाह पाक ने बयान फ़रमाई हो, तो उन की अ़ज़मत व बुलन्दी का अन्दाज़ा कौन लगा सकता है ! चुनान्चे, पारह 10, सूरतुल अन्फ़ाल की आयत नम्बर 74 में फ़रमाने बारी है :