Nabi e Kareem Kay Mubarak Ashaab ki Fazilat

Book Name:Nabi e Kareem Kay Mubarak Ashaab ki Fazilat

          ह़कीमुल उम्मत, ह़ज़रते मुफ़्ती अह़मद यार ख़ान नई़मी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ इस ह़दीस की शर्ह़ में फ़रमाते हैं : سُبْحٰنَ اللّٰہ ! कैसी नफ़ीस तश्बीह़ है ! ह़ुज़ूर صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने अपने सह़ाबा رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ को हिदायत के तारे फ़रमाया और दूसरी ह़दीस में अपने अहले बैत (رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْھُم) को किश्तिये नूह़ फ़रमाया । समुन्दर का मुसाफ़िर किश्ती का भी ह़ाजत मन्द होता है और तारों की रहबरी (या'नी रहनुमाई) का भी कि जहाज़, सितारों की रहनुमाई पर ही समुन्दर में चलते हैं । इस त़रह़ उम्मते मुस्लिमा अपनी ईमानी ज़िन्दगी में अहले बैते अत़्हार (رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْھُم) के भी मोह़्ताज हैं और सह़ाबए किबार (عَلَیْہِمُ الرِّضْوَان) के भी ह़ाजत मन्द । उम्मत के लिये सह़ाबा (رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْھُم) की इक़्तिदा (या'नी पैरवी) में ही इहतिदा या'नी हिदायत है । (मिरआतुल मनाजीह़, 8 / 345)

          ह़ज़रते सय्यिदुना इ़रबाज़ बिन सारिया رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ फ़रमाते हैं : एक रोज़ सुब्ह़ की नमाज़ के बा'द ह़ुस्ने अख़्लाक़ के पैकर, नबियों के ताजवर, मह़बूबे रब्बे अक्बर صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने हमें चन्द नसीह़तें फरमाईं जिन से आंखों से आंसू बह निकले और हमारे दिलों पर घबराहट त़ारी हो गई । एक शख़्स ने कहा कि येह तो किसी बिछड़ कर जाने वाले की नसीह़त मा'लूम होती है, ऐसे में आप हम से किया अ़ह्द लेना चाहेंगे । तो ह़ुज़ूर صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने फ़रमाया : मैं तुम्हें अल्लाह पाक से डरने और अमीर की बात सुन कर उस की इत़ाअ़त करने की वसिय्यत करता हूं अगर्चे किसी ग़ुलाम को तुम्हारा अमीर बना दिया जाए । तुम में से जो ज़िन्दा रहेगा, वोह बहुत से इख़्तिलाफ़ात देखेगा, लिहाज़ा नित नई गुमराह कुन बिद्अ़तों से बचते रहना, तुम में से जो शख़्स वोह वक़्त पाए, उस के लिये मेरी और मेरे हिदायत याफ़्ता ख़ुल्फ़ाए राशिदीन की सुन्नत पर अ़मल करना ज़रूरी है, इसी सुन्नत पर सख़्ती से कार बन्द रहना ।

(ترمذی،کتاب العلم،باب ماجاء فی الاخذ بالسنة ، ۴/۳۰۸،حدیث: ۲۶۸۵)

          ह़ज़रते सय्यिदुना ह़सन बसरी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ से मरवी है कि ह़ज़रते सय्यिदुना अ़ब्दुल्लाह बिन उ़मर رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْھُمَا ने फ़रमाया : जो किसी की पैरवी करना चाहता हो, वोह अस्लाफ़ की पैरवी करे । जो ह़ुज़ूर صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के सह़ाबा हैं, येही इस उम्मत के बेहतरीन लोग हैं, इन की दिल नेकी व भलाई में सब लोगों से बढ़ कर हैं, इन का इ़ल्म सब से वसीअ़ और इन में तकल्लुफ़ (या'नी बनावट व नुमाइश) न होने के बराबर था, येह वोह नुफ़ूसे क़ुद्सिय्या थे जिन्हें अल्लाह पाक ने अपने नबिय्ये करीम, रऊफ़ुर्रह़ीम صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की सोह़बत और दीन की तब्लीग़ के लिये मुन्तख़ब फ़रमाया, पस तुम उन के अख़्लाक़ो आ़दात और उन के त़ौर त़रीक़ों पर चलो क्यूंकि वोह ह़ज़रते सय्यिदुना मुह़म्मदे मुस्तफ़ा صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के सह़ाबा हैं । रब्बे का'बा की क़सम ! येही ह़ज़रात हिदायत के सीधे रास्ते पर गामज़न थे ।

(अल्लाह वालों की बातें, 1 / 537)