Book Name:Fazilat Ka Maiyar Taqwa
फिर उस की वफ़ात हो गई, तो ह़ुज़ूर (صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ) उस के दफ़्न में शरीक हुवे । इस पर बा'ज़ लोगों ने ह़ैरानी का इज़्हार किया कि ग़ुलाम और उस पर इतना इनआ़म, इस पर येह आयते करीमा नाज़िल हुई । (नूरुल इ़रफ़ान)
ह़ज़रते सय्यिदुना अबू हुरैरा رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ फ़रमाते हैं, ह़ुज़ूर صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने इरशाद फ़रमाया : बेशक अल्लाह करीम ने तुम से जाहिलिय्यत का ग़ुरूर और ख़ानदानी फ़ख़्र दूर कर दिया है, अब या तो मोमिन नेकूकार होंगे या बदकार व बदबख़्त । (ترمذی،کتاب المناقب،باب فی فضل الشام والیمن،۵ / ۴۹۷،حدیث: ۳۹۸۱)
ह़ज़रते सय्यिदुना अ़लिय्युल मुर्तज़ा, शेरे ख़ुदा رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ फ़रमाते हैं कि नबिय्ये करीम صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने इरशाद फ़रमाया : जब क़ियामत का दिन होगा, तो बन्दों को अल्लाह करीम के सामने खड़ा किया जाएगा इस ह़ाल में कि वोह बिग़ैर ख़तना किये होंगे । फिर अल्लाह करीम इरशाद फ़रमाएगा : ऐ मेरे बन्दो ! मैं ने तुम्हें ह़ुक्म दिया और तुम ने मेरे ह़ुक्म को ज़ाएअ़ कर दिया और तुम ने अपने नसबों को बुलन्द किया और इस के ज़रीए़ एक दूसरे पर फ़ख़्र किया, (लिहाज़ा) आज के दिन मैं तुम्हारे नसबों को ह़क़ीर व ज़लील क़रार दे रहा हूं, मैं ही बदला देने वाला ह़ाकिम हूं । कहां हैं मुत्तक़ी लोग ? कहां हैं मुत्तक़ी लोग ? बेशक अल्लाह करीम के यहां तुम में ज़ियादा इ़ज़्ज़त वाला वोह है, जो तुम में ज़ियादा परहेज़गार है ।
(تاریخ بغداد،ذکرمن اسمہ علی،علی بن ابراہیم العمری القزوینی،۱۱ / ۳۳۷،رقم:۶۱۷۲)
मीठी मीठी इस्लामी बहनो ! आप ने सुना कि अल्लाह करीम के नज़दीक मुत्तक़ी लोग ही इ़ज़्ज़त व फ़ज़ीलत वाले हैं । मुआ़शरे में मुफ़्लिस व तंगदस्त होने के सबब अगर्चे उन्हें इ़ज़्ज़त व अहम्मिय्यत न दी जाती हो मगर बरोज़े ह़श्र निहायत शानो शौकत से लाए जाएंगे । चुनान्चे, पारह 16, सूरए मरयम की आयत नम्बर 85 में इरशाद होता है :
یَوْمَ نَحْشُرُ الْمُتَّقِیْنَ اِلَى الرَّحْمٰنِ وَفْدًاۙ(۸۵)(پ۱۶،مریم:۸۵)