Book Name:Fazilat Ka Maiyar Taqwa
अस्ल मिट्टी हुई फिर नसब पर अकड़ते और इतराते क्यूं हो ? इन्सान को मुख़्तलिफ़ नसब व क़बीले बनाना एक दूसरे की पहचान के लिये है, न कि शेख़ी मारने और इतराने के लिये । (इस आयते मुबारका का शाने नुज़ूल बयान करते हुवे फ़रमाते हैं :) ह़ुज़ूर صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ बाज़ारे मदीना में तशरीफ़ ले गए, वहां मुलाह़ज़ा फ़रमाया कि एक ग़ुलाम येह कह रहा है कि जो मुझे ख़रीदे, वोह मुझे ह़ुज़ूर (صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ) के पीछे पंजगाना नमाज़ से न रोके । उसे एक शख़्स ने ख़रीद लिया फिर वोह ग़ुलाम बीमार हो गया, तो सरकार (صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ) उस की तीमार दारी (या'नी ख़बर गीरी करने) को तशरीफ़ ले गए फिर उस की वफ़ात हो गई, तो ह़ुज़ूर (صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ) उस के दफ़्न में शरीक हुवे । इस पर बा'ज़ लोगों ने ह़ैरानी का इज़्हार किया कि ग़ुलाम और उस पर इतना इनआ़म, इस पर येह आयते करीमा नाज़िल हुई । (नूरुल इ़रफ़ान)
یٰۤاَیُّهَا الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا لَا یَسْخَرْ قَوْمٌ مِّنْ قَوْمٍ عَسٰۤى اَنْ یَّكُوْنُوْا خَیْرًا مِّنْهُمْ وَ لَا نِسَآءٌ مِّنْ نِّسَآءٍ عَسٰۤى اَنْ یَّكُنَّ خَیْرًا مِّنْهُنَّۚ-وَ لَا تَلْمِزُوْۤا اَنْفُسَكُمْ وَ لَا تَنَابَزُوْا بِالْاَلْقَابِؕ-بِئْسَ الِاسْمُ الْفُسُوْقُ بَعْدَ الْاِیْمَانِۚ-وَ مَنْ لَّمْ یَتُبْ فَاُولٰٓىٕكَ هُمُ الظّٰلِمُوْنَ(۱۱) (پ۲۶،الحجرات:۱۳ )
तर्जमए कन्ज़ुल इ़रफ़ान : ऐ लोगो ! हम ने तुम्हें एक मर्द और एक औ़रत से पैदा किया और तुम्हें क़ौमें और क़बीले बनाया ताकि तुम आपस में पहचान रखो, बेशक अल्लाह के यहां तुम में ज़ियादा इ़ज़्ज़त वाला वोह है, जो तुम में ज़ियादा परहेज़गार है, बेशक अल्लाह जानने वाला ख़बरदार है ।
ह़ज़रते सय्यिदुना अबू हुरैरा رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ फ़रमाते हैं, ह़ुज़ूर صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने इरशाद फ़रमाया : बेशक अल्लाह करीम ने तुम से जाहिलिय्यत का ग़ुरूर और ख़ानदानी फ़ख़्र दूर कर दिया है, अब या तो मोमिन नेकूकार होंगे या बदकार व बदबख़्त । (ترمذی،کتاب المناقب،باب فی فضل الشام والیمن،۵ / ۴۹۷،حدیث: ۳۹۸۱)
ह़ज़रते सय्यिदुना अ़लिय्युल मुर्तज़ा, शेरे ख़ुदा رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ फ़रमाते हैं कि नबिय्ये करीम صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने इरशाद फ़रमाया : जब क़ियामत का