Book Name:Tarke Jamat Ki Waeeden
मेरे ग़ौस का वसीला, रहे शाद सब क़बीला
इन्हें ख़ुल्द में बसाना मदनी मदीने वाले
अगर आप को भी दा'वते इस्लामी के मदनी माह़ोल के ज़रीए़ कोई मदनी बहार या बरकत मिली हो, तो आख़िर में मदनी बहार मक्तब पर जम्अ़ करवा दें ।
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد
मीठी मीठी इस्लामी बहनो ! اَلْحَمْدُ لِلّٰہ عَزَّ وَجَلَّ ! दा'वते इस्लामी के मदनी माह़ोल में नेकियां करने, गुनाहों से बचने का ख़ूब ख़ूब ज़ेहन दिया जाता है नीज़ मुनज़्ज़म त़रीके़ से मदनी कामों को बढ़ाने के लिये मुतअ़द्दद शो'बाजात भी क़ाइम किये गए हैं, इन्ही शो'बाजात में से एक "मजलिसे ह़ज्जो उ़मरह" भी है । इस में कोई शक नहीं कि ह़ज एक अहम इ़बादत है, हर साल लाखों मुसलमान एक ही लिबास में रंगो नस्ल के इम्तियाज़ात मिटा कर और आपस की नफ़रतें और रन्जिशें भुला कर सरज़मीने ह़रम पर इकठ्ठे होते हैं, जिन के इत्तिफ़ाक़ व इत्तिह़ाद का येह अन्दाज़ देख कर पूरी दुन्या ह़ैरान होती है । येह लम्ह़ा उ़श्शाक़ के लिये किसी त़ौर पर ने'मते उ़ज़्मा से कम नहीं होता क्यूंकि जब उन्हें रब्बे करीम और उस के ह़बीब صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की बारगाह से परवानए ह़ाज़िरी मिलता है, तो उन का शौक़ दीदनी (या'नी देखने के क़ाबिल) होता है ।
शैख़े त़रीक़त, अमीरे अहले सुन्नत, बानिये दा'वते इस्लामी, ह़ज़रते अ़ल्लामा मौलाना अबू बिलाल मुह़म्मद इल्यास अ़त़्त़ार क़ादिरी रज़वी ज़ियाई دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ ने ह़ज पर जाने वाले इस्लामी भाइयों और इस्लामी बहनों की तरबिय्यत पर भी ख़ुसूसी तवज्जोह दी और उन्हें बारगाहे ख़ुदावन्दी और बारगाहे मुस्त़फ़वी के आदाब सिखाने के लिये एक शोहरए आफ़ाक़ किताब "रफ़ीक़ुल ह़-रमैन" तह़रीर फ़रमाई और मक्का व मदीना की फ़ज़ाओं में अपनी सांसों को मुअ़त़्त़र करने के लिये जाने वालों को आदाब और दीगर ज़रूरी मसाइल वग़ैरा से आगाह करने के लिये "मजलिसे ह़ज्जो उ़मरह" बनाई ।