Gunahon Ki Nahosat

Book Name:Gunahon Ki Nahosat

वाजिबात की पाबन्दी नसीब होती है । मदनी क़ाफ़िले की बरकत से सुन्नतों पर अ़मल का मौक़अ़ मिलता है । मदनी क़ाफ़िले की बरकत से इशराक़, चाश्त, अव्वाबीन और तहज्जुद पढ़ने की सआदत मिलती है । मदनी क़ाफ़िले की बरकत से लोगों को नेकी की दा'वत देने वाली सुन्नत पर अ़मल का मौक़अ़ मितला है । उ़मूमन मदनी क़ाफ़िले मस्जिदों में क़ियाम करते हैं और मसाजिद में इ़बादत की निय्यत से ठहरने वालों की तो क्या ही बात है कि नबिय्ये करीम صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने उस ख़ुश नसीब के बारे में तीन बातें इरशाद फ़रमाई हैं : (1) इस से फ़ाइदा ह़ासिल किया जाता है । (2) या वोह ह़िक्मत भरा कलाम करता है । (3) या रह़मत का मुन्तज़िर होता है ।

(الترغیب والترہیب،کتاب الصلوۃ،باب الترغیب فی لزوم المساجد ۔۔۔الخ،۱/۱۶۹،رقم:۵۰۳ ماخوذاً)

आइये ! बत़ौरे तरग़ीब मदनी क़ाफ़िले की एक मदनी बहार सुनिये और झूमिये । चुनान्चे,

गुनाहों से नजात मिल गई

      एक इस्लामी भाई दा'वते इस्लामी के मदनी माह़ोल में आने से क़ब्ल गुनाहों की कीचड़ में लिथड़े हुवे थे, जान बूझ कर नमाज़ें क़ज़ा करना, वालिदैन की ना फ़रमानी करना और मुख़्तलिफ़ गुनाहों में मुन्हमिक रहना उन के मा'मूलात में शामिल था, गुनाहों की सियाही इस क़दर बढ़ चुकी थी कि किसी के समझाने के बा वुजूद भी न मानते थे, हर एक की बात सुनी अनसुनी कर देते थे, बुरे लोगों में उठने, बैठने की वज्ह से उन के अख़्लाक़ व किरदार इन्तिहाई दाग़दार हो चुके थे । उन की ज़िन्दगी में बहार कुछ यूं आई कि एक दिन दा'वते इस्लामी के मुश्कबार मदनी माह़ोल से वाबस्ता आशिक़े रसूल इस्लामी भाई से उन की मुलाक़ात हुई, उन्हों ने गुनाहों से पुर ख़ार ज़िन्दगी को सुन्नतों से पुर बहार बनाने के लिये इनफ़िरादी कोशिश फ़रमाई और दा'वते इस्लामी के आशिक़ाने रसूल के हमराह मदनी क़ाफ़िले में सफ़र करने की तरग़ीब दिलाई, उन की पुर ख़ुलूस और मह़ब्बत भरी दा'वत के सबब वोह इन्कार न कर सके और मदनी क़ाफ़िले के लिये तय्यार हो गए और जल्द ही आशिक़ाने रसूल के