Book Name:Gunahon Ki Nahosat
सुकून नसीब नहीं होता । ह़सद नेकियों को इस त़रह़ खा जाता है जैसे आग लकड़ी को । यूंही तकब्बुर को देखा जाए, तो इस के सबब अल्लाह पाक व रसूल صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की नाराज़ी, मख़्लूक़ की बेज़ारी, मैदाने मह़शर में ज़िल्लतों रुस्वाई, रब की रह़मत और इनआमाते जन्नत से मह़रूमी और जहन्नम का ह़क़दार बनने जैसे बडे़ बड़े नुक़्सानात का सामना हो सकता है । नबिय्ये करीम صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने फ़रमाया : जिस के दिल में राई के दाने जितना भी तकब्बुर होगा, वोह जन्नत में दाख़िल न होगा ।
(صحیح مسلم،کتاب الایمان،باب تحریم الکبروبیانہ، الحدیث:۱۴۷،ص۶۰)
मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! देखा आप ने ! येह गुनाह मुआशरे में कैसी कैसी बुराइयों को जन्म देते हैं । लिहाज़ा गुनाह ख़्वाह छोटा हो या बड़ा, उस से बचने ही में आफ़िय्यत है । जैसा कि ह़ज़रते सय्यिदुना बिलाल बिन सा'द رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ फ़रमाते हैं : गुनाह के छोटा होने को न देखो बल्कि येह देखो कि तुम किस की ना फ़रमानी कर रहे हो ।
(الزواجر عن اقتراف الکبائر، مقدمة فی تعریف الکبیرة، خاتمة فی التحذیر۔۔الخ، ۱ /۲۷)
लिहाज़ा अगर गुनाह का इरादा करते वक़्त हमारी येह मदनी सोच बन जाए कि मैं जिस रब्बे करीम की ना फ़रमानी कर रहा हूं, वोह तो मुझे हर वक़्त, हर ह़ाल में देख रहा है, तो اِنْ شَآءَ اللہ عَزَّ وَجَلَّ इस त़रह़ काफ़ी ह़द तक गुनाहों से छुटकारा नसीब हो जाएगा । गुनाहों से नफ़रत करने और छुटकारा पाने का एक बेहतरीन ज़रीआ किसी अच्छे माह़ोल से वाबस्ता होना भी है । اَلْحَمْدُ لِلّٰہ عَزَّ وَجَلَّ आज के इस पुर फ़ितन दौर में दा'वते इस्लामी का मदनी माह़ोल अल्लाह पाक की अ़ज़ीम ने'मत है । आप भी इस महके महके मुश्कबार मदनी माह़ोल से हर दम वाबस्ता रहिये, اِنْ شَآءَاللہ عَزَّوَجَلَّ दुन्या व आख़िरत की भलाइयां ह़ासिल होंगी ।
मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! बयान को इख़्तिताम की त़रफ़ लाते हुवे सुन्नत की फ़ज़ीलत और चन्द सुन्नतें और आदाब बयान करने की सआदत ह़ासिल करता हूं । शहनशाहे नुबुव्वत, मुस्त़फ़ा जाने रह़मत, शम्ए़ बज़्मे हिदायत, नौशए बज़्मे जन्नत صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ का फ़रमाने जन्नत निशान है