Gunahon Ki Nahosat

Book Name:Gunahon Ki Nahosat

ग़ीबत, चुग़ली और न जाने कैसे कैसे गुनाहों में मुब्तला रहते हैं । इसी त़रह़ रमज़ानुल मुबारक की पाकीज़ा रातों में कई नौजवान मह़ल्ले में क्रिकेट, फु़टबॉल वग़ैरा खेल खेलते, ख़ूब शोर मचाते हैं और इस त़रह़ येह लोग ख़ुद तो इ़बादत से मह़रूम रहते ही हैं, दूसरों के लिये भी परेशानी का बाइ़स बनते हैं, न तो ख़ुद इ़बादत करते हैं, न दूसरों को करने देते हैं । इस क़िस्म के खेल अल्लाह पाक की याद से ग़ाफ़िल करने वाले हैं, नेक लोग तो इन खेलों से सदा दूर ही रहते हैं, ख़ुद खेलना तो दर कनार ऐसे खेल तमाशे देखते भी नहीं बल्कि इस क़िस्म के खेलों का आंखों देखा ह़ाल (Commentary) भी नहीं सुनते । लिहाज़ा इन ह़रकात से हमेशा बचना चाहिये और ख़ुसूसन रमज़ानुल मुबारक के बा बरकत लम्ह़ात तो हरगिज़ हरगिज़ इस त़रह़ बरबाद नहीं करने चाहियें ।

(फै़ज़ाने सुन्नत, स. 927)

मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! रमज़ानुल मुबारक का तक़द्दुस पामाल करने वालों के मुतअ़ल्लिक़ कितनी सख़्त वई़द वारिद हुई है । आइये ! सुनिये और इ़ब्रत से सर धुनिये । चुनान्चे,

रमज़ान में गुनाह करने वाला

        ह़ज़रते सय्यिदतुना उम्मे हानी رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْھَا से रिवायत है, दो जहां के सुल्त़ान, शहनशाहे कौनो मकान, सरवरे ज़ीशान, मह़बूबे रह़मान صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ का फ़रमाने इ़ब्रत निशान है : मेरी उम्मत ज़लीलो रुस्वा न होगी जब तक वोह माहे रमज़ान का ह़क़ अदा करती रहेगी । अ़र्ज़ की गई : या रसूलल्लाह صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ! रमज़ान के ह़क़ को ज़ाएअ़ करने में उन का ज़लीलो रुस्वा होना क्या है ? फ़रमाया : इस माह में उन का ह़राम कामों का करना । फिर फ़रमाया : जिस ने इस माह में बदकारी की या शराब पी, तो अगले रमज़ान तक अल्लाह पाक और जितने आसमानी फ़िरिश्ते हैं सब उस पर ला'नत करते हैं । पस अगर येह शख़्स अगले माहे रमज़ान को पाने से पहले ही मर गया, तो उस के पास कोई ऐसी नेकी न होगी जो उसे जहन्नम की आग से बचा सके । पस तुम माहे रमज़ान के मुआमले में डरो क्यूंकि जिस त़रह़ इस माह में