Book Name:Gunahon Ki Nahosat
और भी रन्जीदा हो गए और सजदे में गिर कर रो रो कर अ़र्ज़ करने लगे : या अल्लाह करीम ! मेरी लाज तेरे हाथ में है, इस बन्दे ने बड़ी उम्मीद के साथ मुझे पुकारा है, मेरे मालिक ! तू मुझे इस के आगे रुस्वा न फ़रमा, इस की बेबसी पर रह़म फ़रमा दे और इस बेचारे को बख़्श दे । ह़ज़रते अ़ली کَرَّمَ اللّٰہُ تَعَالٰی وَجْھَہُ الْکَرِیْم रो रो कर मुनाजात कर रहे थे । अल्लाह करीम की रह़मत का दरया जोश में आ गया और निदा आई : ऐ अ़ली (کَرَّمَ اللّٰہُ تَعَالٰی وَجْھَہُ الْکَرِیْم) ! हम ने तुम्हारी शिकस्ता दिली के सबब इसे बख़्श दिया । चुनान्चे, उस मुर्दे पर से अ़ज़ाब उठा लिया गया । (फै़ज़ाने सुन्नत, स. 922, انیسُ الْواعِظین ص۲۵)
मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! इस ह़िकायत में हमारे लिये इ़ब्रत के बे शुमार मदनी फूल हैं । ज़िन्दा इन्सान ख़ूब फुदक्ता है मगर जब मौत का शिकार हो कर क़ब्र में उतार दिया जाता है, उस वक़्त आंखें बन्द होने के बजाए ह़क़ीक़त में खुल चुकी होती हैं । अच्छे आ'माल और राहे ख़ुदा में दिया हुवा माल तो काम आता है मगर जो कुछ धन दौलत पीछे छोड़ आता है, उस में भलाई का इमकान न होने के बराबर होता है । वुरसा से येह उम्मीद कम ही होती है कि वोह अपने मर्ह़ूम अ़ज़ीज़ की आख़िरत की बेहतरी के लिये माले कसीर ख़र्च करें ।
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد
12 मदनी कामों में से एक मदनी काम
मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! एह़तिरामे रमज़ान का जज़्बा बढ़ाने, रमज़ान और ग़ैरे रमज़ान में गुनाहों से ख़ुद को बचाने और इ़बादतो रियाज़त में दिल लगाने के लिये आशिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक दा'वते इस्लामी के मदनी माह़ोल से वाबस्ता हो जाइये और ज़ैली ह़ल्के़ के 12 मदनी कामों में बढ़ चढ़ कर ह़िस्सा लेने वाले बन जाइये । 12 मदनी कामों में से एक मदनी काम "मदनी क़ाफ़िला" भी है ।
اَلْحَمْدُ لِلّٰہ عَزَّ وَجَلَّ ! मदनी क़ाफ़िला इ़ल्मे दीन के ह़ुसूल का ज़रीआ है । मदनी क़ाफ़िला रह़मतों के नुज़ूल का सबब है । मदनी क़ाफ़िले की बरकत से फ़राइज़ व