Gunahon Ki Nahosat

Book Name:Gunahon Ki Nahosat

साथ मदनी क़ाफ़िले के मुसाफ़िर बन गए । मदनी क़ाफ़िले की बरकत से उन्हें ज़िन्दगी में पहली बार पांचों नमाज़ें पाबन्दी के साथ सफ़े अव्वल में पढ़ने की सआदत मिली, मज़ीद सीखने, सिखाने के मदनी ह़ल्क़ों में त़हारत, नमाज़ और दीगर ज़रूरी शरई़ मसाइल सीखने को मिले और आशिक़ाने रसूल की सोह़बत की बरकत से उन के अख़्लाक़ व किरदार में नुमायां तब्दीली वाके़अ़ हो गई, दिल गुनाहों से बेज़ार और नेकियों की जानिब माइल हो गया, सुन्नतों पर अ़मल करने का ज़ेहन बन गया, नमाज़ों की पाबन्दी का पक्का इरादा कर लिया और जल्द ही सब्ज़ इ़मामा शरीफ़ का ताज सजा लिया ।

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!        صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد

रोज़े में वक़्त "पास" करने के लिये....

      मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! बा'ज़ नादान ऐसे भी देखे जाते हैं जो अगर्चे रोज़ा तो रख लेते हैं मगर फिर उन बेचारों का वक़्त "पास" नहीं होता, लिहाज़ा वोह भी एह़तिरामे रमज़ान शरीफ़ को एक त़रफ़ रख कर ह़राम व नाजाइज़ कामों का सहारा ले कर वक़्त "पास" करते हैं और यूं रमज़ान शरीफ़ में शत़रंज, ताश, लुड्डो, गाने, बाजे वग़ैरा में मश्ग़ूल हो जाते हैं ।

        याद रखिये ! शत़रंज और ताश वग़ैरा पर किसी क़िस्म की बाज़ी या शर्त़ न भी लगाई जाए तब भी येह खेल नाजाइज़ है बल्कि ताश में चूंकि जानदारों की तस्वीरें भी होती हैं, इस लिये मेरे आक़ा आ'ला ह़ज़रत رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ ने ताश खेलने को मुत़्लक़न ह़राम लिखा है । चुनान्चे, फ़रमाते हैं : गन्जिफ़ा (या'नी पत्तों के ज़रीए़ खेले जाने वाले एक खेल का नाम और) ताश ह़रामे मुत़्लक़ है कि इन में इ़लावा लहवो लइ़ब के तस्वीरों की ता'ज़ीम  है । (फ़तावा रज़विय्या, जि. 24, स. 141, फ़ैज़ाने सुन्नत, स. 927) इसी त़रह़ शत़रंज खेलना भी नाजाइज़ है ।

(बहारे शरीअ़त, ह़िस्सा 16, स. 511, माख़ूज़न)