Book Name:Gunahon Ki Nahosat
से रह़मत के दरवाज़े खोल दिये जाते हैं और ख़ूब मग़फ़िरत के परवाने तक़्सीम होते हैं । लिहाज़ा हमें इस की आमद पर ख़ूब ख़ुशी का इज़्हार करना चाहिये और इस के इस्तिक़्बाल के लिये पहले से तय्यारी करनी चाहिये । अभी जो ह़दीसे पाक आप के सामने बयान की गई, इस से माहे रमज़ानुल मुबारक की रह़मतों, बरकतों और अ़ज़मतों का ख़ूब ख़ूब अन्दाज़ा लगाया जा सकता है । जैसा कि आप ने मुलाह़ज़ा फ़रमाया कि इस माहे मुबारक में नफ़्ली इ़बादत का सवाब फ़र्ज़ के बराबर और फ़र्ज़ का सवाब सत्तर फ़र्ज़ के बराबर कर दिया जाता है और इसी त़रह़ इस महीने में रोज़ा इफ़्त़ार करवाने वालों की मग़फ़िरत भी कर दी जाती है और मोमिन का रिज़्क़ भी बढ़ा दिया जाता है, इस के इ़लावा और बे शुमार रह़मतें और बरकतें इस मुबारक महीने में ह़ासिल होती हैं । लिहाज़ा हमें भी चाहिये कि हम इस मुक़द्दस महीने में ख़ूब दिल खोल कर सदक़ा व ख़ैरात करें और ज़ियादा से ज़ियादा इ़बादात बजा लाएं, ख़ुसूसन कलिमा शरीफ़ ज़ियादा ता'दाद में पढ़ कर और बार बार इस्तिग़फ़ार या'नी ख़ूब तौबा के ज़रीए़ अल्लाह करीम को राज़ी करने की सई़ (या'नी कोशिश) करनी चाहिये । अल्लाह पाक से जन्नत में दाख़िला और जहन्नम से पनाह की बहुत ज़ियादा इल्तिजाएं करनी चाहियें । काश ! हम गुनहगारों को ब त़ुफै़ले माहे रमज़ान, सरवरे कौनो मकान, मक्की मदनी सुल्त़ान, रह़मते आलमिय्यान, मह़बूबे रह़मान (صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ) के रह़मत भरे हाथों से जहन्नम से रिहाई का परवाना मिल जाए ।
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد
मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! जिस त़रह़ रमज़ानुल मुबारक में नेक आ'माल करना बहुत बड़ी सआदत है, इसी त़रह़ गुनाह करना भी बहुत बड़े ख़सारे का बाइ़स है, होना तो येह चाहिये कि इस माह में ख़ूब इ़बादत कर के रब्बे करीम को राज़ी किया जाए मगर अफ़्सोस ! बा'ज़ लोग ऐसे भी होते हैं, जो इस महीने में गुनाहों से बाज़ नहीं आते, न उन्हें नमाज़ों का ख़याल होता है न रोज़ों का पास होता है बल्कि इस मुक़द्दस माह में भी फ़िल्मों, ड्रामों, झूट,