Book Name:Shadi Aur Islami Talimaat
निकाह़ करो, अगर ऐसा न करोगे, तो ज़मीन में फ़ितने और लम्बे चौड़े फ़साद बरपा हो जाएंगे । (ترمذی، کتاب النکاح، باب اذا جاءکم من ترضون… الخ، ۲/۳۴۴،حدیث: ۱۰۸۶)
ह़कीमुल उम्मत, ह़ज़रते मुफ़्ती अह़मद यार ख़ान नई़मी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ फ़रमाते हैं : लड़की के लिए दीनदार, आ़दातो अत़्वार का दुरुस्त लड़का मिल जाए, तो मह़्ज़ माल की हवस में और लखपती के इन्तिज़ार में जवान लड़की के निकाह़ में देर न करो, अगर मालदार के इन्तिज़ार में लड़कियों के निकाह़ न किए गए, तो इधर तो लड़कियां बहुत कुंवारी बैठी रहेंगी और उधर लड़के बहुत से बे शादी रहेंगे, जिस से बदकारी फैलेगी और लड़की वालों को शर्मिन्दगी का सामना करना पड़ेगा, नतीजा येह होगा कि ख़ानदान आपस में लड़ेंगे, क़त्लो ग़ारत होंगे, जिस का आज कल ज़ुहूर हो रहा है । (मिरआतुल मनाजीह़, 5 / 8, मुल्तक़त़न)
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد
प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! रिश्ता त़ै हो जाने के बाद मंगनी का मौक़अ़ आता है । मंगनी इस्लामी तालीमात के मुत़ाबिक़ करना जाइज़ है मगर अफ़्सोस ! फ़ी ज़माना मंगनी में ख़ुराफ़ात (ग़लत़ बातें) पाई जाती हैं । मंगनी निकाह़ का वादा है, यानी लड़के और लड़की के वालिदैन एक दूसरे से अपने बच्चों की शादी का जो मुआ़हदा करते हैं । मसलन लड़के के वालिदैन केहते हैं : आज से आप की बेटी हमारी हुई । या लड़की के वालिदैन केहते हैं : आज से आप का बेटा हमारा हुवा वग़ैरा । तो येह जो वादए निकाह़ या बात पक्की करना है, येही दर ह़क़ीक़त "मंगनी" है और यूं केहने में दीने इस्लाम में कोई ह़रज नहीं ।
ह़कीमुल उम्मत, ह़ज़रते मुफ़्ती अह़मद यार ख़ान नई़मी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ फ़रमाते हैं : मंगनी दरअस्ल निकाह़ का वादा है, अगर येह न हो, जब भी कोई ह़रज नहीं । (इस्लामी ज़िन्दगी, स. 39)
मगर अफ़्सोस ! फ़ी ज़माना कम इ़ल्मी और दीने इस्लाम से दूरी की वज्ह से मंगनी का जो अन्दाज़ हमारे मुआ़शरे में राइज है, वोह अपने दामन में एक दो नहीं बल्कि दरजनों ख़िलाफे़ ग़ैरत व ख़िलाफे़ शरीअ़त कामों को लिए हुवे है, जैसे लड़का अपनी मंगेतर को अपने हाथ से अंगूठी पेहनाता है ।
याद रखिए ! ह़दीसे पाक में है : तुम में से किसी के सर में लोहे की सूई घोंप दी जाए, तो येह इस से बेहतर है कि वोह ऐसी औ़रत को छूए जो उस के लिए ह़लाल नहीं । (معجم کبیر ،۲۰/۲۱۲،حدیث:۴۸۷) मुफ़्तिए आज़म पाकिस्तान, मुफ़्ती वक़ारुद्दीन رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ फ़रमाते हैं : निकाह़ से पेहले लड़का और लड़की एक दूसरे के लिए अजनबी और ग़ैर मह़रम हैं, दोनों को एक दूसरे के जिस्म को छूना