Shadi Aur Islami Talimaat

Book Name:Shadi Aur Islami Talimaat

उस ने ब ख़ुशी क़बूल कर लिया । इस त़रह़ ह़ज़रते आ़सिम رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ की शादी उस लड़की से हो गई और फिर उन के हां एक बेटी पैदा हुई और उस लड़की से ह़ज़रते उ़मर बिन अ़ब्दुल अ़ज़ीज़ رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ की विलादत हुई । (عیون الحکایات، الحکایۃ الثانیۃ عشرۃ، ص۲۸-۲۹)

          प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! येह होता है ख़ौफे़ ख़ुदा, तक़्वा व परहेज़गारी और अपने रब्बे करीम से शर्मो ह़या ! उस नौजवान लड़की ने अपनी वालिदा को कैसा ख़ूबसूरत जवाब दिया कि अगर्चे अमीरुल मोमिनीन मुझे नहीं देख रहे लेकिन मेरा रब्बे करीम तो मुझे देख रहा है । वाके़ई़ जो जिस क़दर नेक होती हैं, उन के दिल में रब्बे करीम का ख़ौफ़ भी उतना ज़ियादा होता है, वोह अकेली हों या सहेलियों में, घर में हों या ज़रूरत की बिना पर बाहर जाना पड़े, अल ग़रज़ ! हर वक़्त अपने रब्बे करीम से डरती हैं और गुनाहों से बाज़ रेहती हैं । जो रब्बे करीम से डरती हैं, अल्लाह पाक उन्हें दुन्या में इन्आ़मात और आख़िरत में जन्नती नेमतों से नवाज़ता है, जैसा कि उस ग़रीब घर की लड़की को दुन्यावी इन्आ़म येह नसीब हुवा कि अमीरुल मोमिनीन, ह़ज़रते उ़मर फ़ारूके़ आज़म رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ के घर की बहू बनी, आप के बेटे ह़ज़रते आ़सिम رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ से शादी हुई और उन की औलाद से दूसरे उ़मर, यानी ह़ज़रते उ़मर बिन अ़ब्दुल अ़ज़ीज़ رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ पैदा हुवे । ह़ज़रते उ़मर बिन अ़ब्दुल अ़ज़ीज़ رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ कैसी शख़्सिय्यत थे ? आइए ! उन की मुख़्तसर सीरत सुनते हैं । चुनान्चे,

ह़ज़रते उ़मर बिन अ़ब्दुल अ़ज़ीज़ की मुख़्तसर सीरत

          * अमीरुल मोमिनीन, ह़ज़रते उ़मर बिन अ़ब्दुल अ़ज़ीज़ رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ 61 या 63 हिजरी में मदीनए मुनव्वरा में पैदा हुवे । * मदीने शरीफ़ में ही इ़ल्मो अ़मल की मन्ज़िलें त़ै कीं । * आप न सिर्फ़ ख़ुद ज़बरदस्त आ़लिमे दीन थे बल्कि इ़ल्म व उ़लमा के क़द्रदान भी थे । * आप फ़रमाते : अगर तुम से हो सके, तो आ़लिम बनो, येह न हो सके, तो त़ालिबे इ़ल्म बनो, येह भी न हो सके, तो उ़लमा से मह़ब्बत रखो और येह भी न हो सके, तो कम अज़ कम उन से बुग़्ज़ (यानी दुश्मनी) न रखो । * आप 25 साल की उ़म्र में मक्के शरीफ़, मदीने शरीफ़ और त़ाइफ़ के गवर्नर बने । * ख़लीफ़ा सुलैमान बिन अ़ब्दुल मलिक की वफ़ात के बाद 36 साल की उ़म्र में जुम्आ़ के दिन मुसलमानों के ख़लीफ़ा बने । * आप ने इस शान से मन्सबे ख़िलाफ़त को निभाया कि आप को "सानिए उ़मर" कहा जाता है । * आप का ज़मानए ख़िलाफ़त ढाई साल है । * आप 25 रजब 101 हिजरी, बुध के दिन तक़रीबन 39 साल की उ़म्र में फ़ौत हुवे । * आप का मज़ार मुल्के शाम में है । * ह़ज़रते उ़मर बिन अ़ब्दुल अ़ज़ीज़ की 425 ह़िकायात, माख़ूज़न) अल्लाह पाक उन पर रह़मत फ़रमाए और उन के सदके़ हमारी बे ह़िसाब मग़फ़िरत फ़रमाए । اٰمِیْن بِجَاہِ النَّبِیِّ الْاَمِیْن صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!                                               صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد