Book Name:Shadi Aur Islami Talimaat
शहज़ादिए कौनैन, ह़ज़रते फ़ात़िमा ज़हरा رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہَا के निकाह़ का वाक़िआ़, उस से ह़ासिल होने वाले निकात, शादी को इस्लामी तालीमात के मुत़ाबिक़ करने का आसान त़रीक़ा, शादी के ह़वाले से बुज़ुर्गाने दीन के वाक़िआ़त और शादी में होने वाली ख़ुराफ़ात की मज़म्मत के बारे में सुनेंगे । ऐ काश ! हमें पूरा बयान अच्छी अच्छी निय्यतों के साथ सुनना नसीब हो जाए । आइए ! सब से पेहले एक वाक़िआ़ सुनते हैं । चुनान्चे,
मेरा रब्बे करीम तो मुझे देख रहा है !
ह़ज़रते अस्लम رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ फ़रमाते हैं : अमीरुल मोमिनीन, ह़ज़रते उ़मर बिन ख़त़्त़ाब رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ अक्सर रात के वक़्त मदीनए मुनव्वरा का दौरा फ़रमाते ताकि अगर किसी को कोई ह़ाजत हो, तो उसे पूरा करें । एक रात मैं भी उन के साथ था, आप चलते चलते अचानक एक घर के पास रुक गए । अन्दर से एक औ़रत की आवाज़ आ रही थी : बेटी ! दूध में थोड़ा सा पानी मिला दो । लड़की येह सुन कर बोली : अम्मीजान ! क्या आप को मालूम नहीं कि अमीरुल मोमिनीन, ह़ज़रते उ़मर बिन ख़त़्त़ाब رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ ने क्या ह़ुक्म जारी फ़रमाया है ? उस की मां बोली : बेटी ! हमारे ख़लीफ़ा ने क्या ह़ुक्म जारी फ़रमाया है ? लड़की ने कहा : अमीरुल मोमिनीन رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ ने येह एलान करवाया है कि कोई भी दूध में पानी न मिलाए । मां ने येह सुन कर कहा : बेटी ! अब तो तुम्हें ह़ज़रते उ़मर رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ नहीं देख रहे, उन्हें क्या मालूम कि तुम ने दूध में पानी मिलाया है, जाओ और दूध में पानी मिला दो । लड़की ने येह सुन कर कहा : ख़ुदा की क़सम ! मैं हरगिज़ ऐसा नहीं कर सकती कि उन के सामने तो उन की फ़रमां बरदारी करूं और उन की ग़ैर मौजूदगी में उन की ना फ़रमानी करूं, इस वक़्त अगर्चे मुझे अमीरुल मोमिनीन, ह़ज़रते उ़मर رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ नहीं देख रहे लेकिन मेरा रब्बे करीम तो मुझे देख रहा है, मैं हरगिज़ दूध में पानी नहीं मिलाऊंगी ।
ह़ज़रते अस्लम رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ फ़रमाते हैं : येह सुन कर ह़ज़रते उ़मर رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ ने मुझ से फ़रमाया : ऐ अस्लम ! इस घर को अच्छी त़रह़ पेहचान लो । फिर आप सारी रात इसी त़रह़ गलियों में दौरा करते रहे । जब सुब्ह़ हुई, तो मुझे अपने पास बुलाया और फ़रमाया : ऐ अस्लम ! उस घर की त़रफ़ जाओ और मालूम करो, वहां कौन कौन रेहता है ? और येह भी मालूम करो वोह लड़की शादी शुदा है या नहीं ? ह़ज़रते अस्लम رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ फ़रमाते हैं : मैं उस घर की त़रफ़ गया और उन के बारे में मालूमात ह़ासिल कीं, तो पता चला कि उस घर में एक बेवा औ़रत और उस की बेटी रेहती है और उस की बेटी की अभी तक शादी नहीं हुई । मालूमात ह़ासिल करने के बाद मैं ह़ज़रते उ़मर رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ के पास आया और उन्हें सारी तफ़्सील बताई । आप ने फ़रमाया : मेरे तमाम बेटों को मेरे पास बुला कर लाओ । जब सब आप के पास जम्अ़ हो गए, तो आप ने उन से फ़रमाया : क्या तुम में से कोई शादी करना चाहता है ? ह़ज़रते अ़ब्दुल्लाह बिन उ़मर और ह़ज़रते अ़ब्दुर्रह़मान رَضِیَ اللّٰہُ عَنْھُمَا ने अ़र्ज़ की : हम तो शादी शुदा हैं । फिर ह़ज़रते आ़सिम बिन उ़मर رَضِیَ اللّٰہُ عَنْھُمَا ने खड़े हो कर शादी की ह़ामी भर ली । ह़ज़रते उ़मर رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ ने उस लड़की को अपने बेटे से शादी के लिए पैग़ाम भेजा जो