Shadi Aur Islami Talimaat

Book Name:Shadi Aur Islami Talimaat

दावत भी सादगी से शरीअ़त के दाइरे में रेहते हुवे करें क्यूंकि जिस निकाह़ में ख़र्च कम होता है, वोह बरकत वाला होता है । चुनान्चे,

बरकत वाला निकाह़

          रसूले अकरम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم ने इरशाद फ़रमाया : बड़ी बरकत वाला निकाह़ वोह है जिस में बोझ कम हो । (مسند احمد، مسند السیدة عائشة،۹/۳۶۵،حـدیث:۲۴۵۸۳)

          ह़कीमुल उम्मत, ह़ज़रते मुफ़्ती अह़मद यार ख़ान नई़मी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ इस ह़दीसे मुबारका की शर्ह़ में फ़रमाते हैं : जिस निकाह़ में फ़रीक़ैन (दोनों जानिब) का ख़र्च कम कराया जाए, महर भी मामूली हो, जहेज़ भारी न हो, कोई जानिब मक़्रूज़ न हो जाए, किसी त़रफ़ से शर्त़ सख़्त न हो, अल्लाह करीम के तवक्कुल (भरोसे) पर लड़की दी जाए, वोह निकाह़ बड़ा ही बा बरकत है, ऐसी शादी, ख़ाना आबादी बन जाती है । (मिरआतुल मनाजीह़, 5 / 11)

          प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! अमीरे अहले सुन्नत, ह़ज़रते अ़ल्लामा मौलाना मुह़म्मद इल्यास अ़त़्त़ार क़ादिरी دَامَتْ بَرَکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ की ज़ात हमारे लिए किसी नेमत से कम नहीं, आप बा करामत वली होने के साथ साथ इ़ल्मी, अ़मली, ज़ाहिरी और बात़िनी त़ौर पर अह़कामाते इलाहिय्या की बजा आवरी और सुनने नबविय्या की पैरवी करने और करवाने की रौशन मिसाल हैं । अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرَکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ जिस त़रह़ अपने बयानात, तह़रीरात, इरशादात और मक्तूबात के ज़रीए़ दीगर लोगों को नेक आमाल की तल्क़ीन और दीनी तालीमात पर अ़मल की तरग़ीब दिलाते हैं, यूंही अपने अहले ख़ाना को भी आमाल व अह़वाल की दुरुस्ती की तम्बीह फ़रमाते रेहते हैं । आप ने अपनी इक्लौती बेटी और अपने शहज़ादों की शादी के तमाम लम्ह़ात व मुआ़मलात शरीअ़त के ऐ़न मुत़ाबिक़ करने पर तवज्जोह दी, जिस के नतीजे में اَلْحَمْدُ لِلّٰہ येह शादियां हर त़रह़ की फ़ुज़ूल व नाजाइज़ रस्मों से पाक, इस्लामी तालीमात के मुत़ाबिक़ इन्तिहाई सादगी का मज़हर और दौरे ह़ाज़िर की मिसाली शादियां क़रार पाईं ।

बिन्ते अ़त़्त़ार का जहेज़

          अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرَکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ ने एक मदनी मुज़ाकरे में कुछ यूं इरशाद फ़रमाया : मैं ने पूरी कोशिश की, कि ह़ज़रते फ़ात़िमा رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہَا को मेरे आक़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم ने जो जो इ़नायत फ़रमाया उस की पैरवी की जाए, मसलन मश्कीज़ा, गेहूं पीसने वाली हाथ की चक्की, नुक़रई कंगन पेश किए, इसी त़रह़ की दीगर चीज़ें किताबों से देख कर जो जो मुयस्सर आया (मसलन) चटाई, मिट्टी के बरतन और खजूर की छाल भरा चमड़े का तक्या वग़ैरा जहेज़ में पेश करने की कोशिश की । (तज़किरए अमीरे अहले सुन्नत, क़िस्त़ : 3, स. 44)