Book Name:Mout Ki Yad Kay Fazail Shab e Qadr 1442
तर्जमए कन्ज़ुल इ़रफ़ान : अल्लाह जानों को उन की मौत के वक़्त वफ़ात देता है और जो न मरें, उन्हें उन की नींद की ह़ालत में फिर जिस पर मौत का ह़ुक्म फ़रमा देता है, उसे रोक लेता है और दूसरे को एक मुक़र्ररा मुद्दत तक छोड़ देता है, बेशक इस में ज़रूर सोचने वालों के लिए निशानियां हैं ।
यक़ीनन मौत से फ़रार मुमकिन नहीं कि मौत का आना यक़ीनी है, कोई भी इस से बच नहीं सकता । चुनान्चे, अल्लाह पाक पारह 28, सूरए जुम्आ़ की आयत नम्बर 8 में इरशाद फ़रमाता है :
قُلْ اِنَّ الْمَوْتَ الَّذِیْ تَفِرُّوْنَ مِنْهُ فَاِنَّهٗ مُلٰقِیْكُمْ )پ۲۸،الجمعة:۸(
तर्जमए कन्ज़ुल इ़रफ़ान : तुम फ़रमाओ बेशक वोह मौत जिस से तुम भागते हो, पस वोह ज़रूर तुम्हें मिलने वाली है ।
पारह 5, सूरए निसा, आयत नम्बर 78 में रब्बे करीम का इरशाद है :
اَیْنَ مَا تَكُوْنُوْا یُدْرِكْكُّمُ الْمَوْتُ وَ لَوْ كُنْتُمْ فِیْ بُرُوْجٍ مُّشَیَّدَةٍؕ ) پ۵،النسا:۷۸ (
तर्जमए कन्ज़ुल इ़रफ़ान : तुम जहां कहीं भी होगे, मौत तुम्हें ज़रूर पकड़ लेगी, अगर्चे तुम मज़बूत़ क़ल्ओ़ं में हो ।
अमीरे अहले सुन्नत, ह़ज़रते मौलाना मुह़म्मद इल्यास अ़त़्त़ार क़ादिरी دَامَتْ بَرَکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ इरशाद फ़रमाते हैं : यक़ीनन जो मौत और इस के बाद वाले मुआ़मलात से सह़ीह़ मानों में आगाह है, वोह दुन्या की रंगीनियों और इस की आसाइशों के धोके में नहीं पड़ सकता । क्या आप ने कभी किसी को मरने वाले की क़ब्र में रखने के लिए फ़र्नीचर तय्यार करवाते, क़ब्र में ऐर कन्डीशन लगवाते, रक़म रखने के लिए तिजोरी बनवाते, खेलों में जीते हुवे कप और दुन्यवी काम्याबियों की अस्नाद सजाने के लिए अल्मारी बनवाते हुवे देखा है ? नहीं देखा होगा और येह काम शरअ़न दुरुस्त भी नहीं हैं । तो जब सब कुछ यहीं छोड़ कर जाना है, तो येह डिग्रियां हमारे किस काम की ? जिस दौलत के लिए सारी ज़िन्दगी मेह़नतो मशक़्क़त करते हैं, वोह हमारी क्या मदद करेगी ? जिस मन्सब की बिना पर हम शानो शौकत का इज़्हार करते रहे, वोह आख़िर हमारे क्या काम आएगा ? लिहाज़ा अब भी वक़्त है, होश में आइए और क़ब्रो आख़िरत की तय्यारी कर लीजिए । (क़ब्र की पेहली रात, स. 18) क़ुरआने करीम में पारह 22, सूरए फ़ात़िर की आयत नम्बर 5 में इरशाद होता है :
یٰۤاَیُّهَا النَّاسُ اِنَّ وَعْدَ اللّٰهِ حَقٌّ فَلَا تَغُرَّنَّكُمُ الْحَیٰوةُ الدُّنْیَاٙ-وَ لَا یَغُرَّنَّكُمْ بِاللّٰهِ الْغَرُوْرُ(۵)) پ ۲۲، الفَاطِر: ۵ (
तर्जमए कन्ज़ुल इ़रफ़ान : ऐ लोगो ! बेशक अल्लाह का वादा सच्चा है, तो हरगिज़ दुन्या की ज़िन्दगी तुम्हें धोका न दे और हरगिज़ बड़ा फ़रेबी तुम्हें अल्लाह के बारे में फ़रेब न दे ।
तफ्सीरे सिरात़ुल जिनान में इस आयत के तह़्त जो बयान किया गया है, उस का ख़ुलासा है : अल्लाह पाक ने इस आयत में नसीह़त करते हुवे इरशाद फ़रमाया : ऐ लोगो ! बेशक अल्लाह पाक का वादा सच्चा है, क़ियामत ज़रूर आनी है, मरने के बाद ज़रूर उठना, अपने आमाल का ह़िसाब देना है और हर एक को अपने अ़मल की जज़ा ज़रूर मिलेगी, तो हरगिज़ दुन्या की ज़िन्दगी तुम्हें