Book Name:Nafli Ibadat Ka Sawab
(3) बदकारी का आ़दी । (4) तअ़ल्लुक़ तोड़ने वाला । (5) तस्वीर बनाने वाला और (6) चुग़ल ख़ोर । (فضائل الاوقات، ۱/۱۳۰، حدیث: ۲۷)
इसी त़रह़ बाज़ दूसरी अह़ादीसे मुबारका में काहिन, जादूगर, तकब्बुर के साथ पाजामा या तेहबन्द टख़्नों के नीचे लटकाने वाले और किसी मुसलमान से बिला इजाज़ते शरई़ बुग़्ज़ो कीना रखने वाले के लिए भी इस रात मग़फ़िरत से मह़रूमी की वई़द बयान की गई है । चुनान्चे, तमाम मुसलमानों को चाहिए कि बयान कर्दा गुनाहों में से अगर किसी गुनाह में मुब्तला हों, तो बिल ख़ुसूस उस गुनाह से और बिल उ़मूम तमाम गुनाहों से शबे बराअत के आने से पेहले बल्कि आज और अभी सच्ची तौबा कर लीजिए और क्या ही अच्छा हो कि तौबा पर इस्तिक़ामत पाने, अपनी दुन्या व आख़िरत की बेहतरी के लिए नेकियां करने, गुनाहों से बचने और अपने दिल में ख़ूब ख़ूब नफ़्ल इ़बादत करने का जज़्बा बेदार करने के लिए दावते इस्लामी के दीनी माह़ोल से वाबस्ता हो जाएं ।
प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! मुसलमानों की एक तादाद ऐसी भी है जो माहे रमज़ान के फ़र्ज़ रोज़े रखने से मह़रूम है, इस माहे मुबारक में भी مَعَاذَ اللّٰہ गुनाहों के बाज़ार गर्म रेहते हैं, दिन दहाड़े हट्टे कट्टे बिला उ़ज्रे़ शरई़ रोज़े छोड़ने वाले कई होंगे, बड़ी बेबाकी के साथ होटलों में खाने, पीने का सिलसिला चल रहा होता है । हां ! अगर किसी को होटल वग़ैरा में सरे आ़म खाना वग़ैरा खाते देखें तब भी हमें हर मुसलमान के साथ ह़ुस्ने ज़न ही रखना होगा, हो सकता है किसी शरई़ उ़ज़्र की वज्ह से वोह रोज़ा न रख सका हो ।
प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! इस माहे मुबारक में मदनी क़ाफ़िलों में सफ़र के ज़रीए़ ऐसे लोगों को हम नेकी की दावत दें, बुराई से मन्अ़ करें, माहे रमज़ानुल मुबारक के फ़ज़ाइल बता कर उन्हें फ़र्ज़ रोज़े रखने का ज़ेह्न दें, ख़ूब ख़ूब इनफ़िरादी कोशिश करें, गोया हमारी इजतिमाई़ व इनफ़िरादी कोशिश से किए जाने वाले "इस्तिक़्बाले रमज़ान" की ऐसी बरकतें ज़ाहिर हों कि माहे रमज़ान की आमद होते ही ऐसा समां हो कि हर त़रफ़ रोज़ों की बहारें आ जाएं । मदनी क़ाफ़िले के शिडयूल में "फै़ज़ाने रमज़ान" से मस्जिद व ऐरिया दर्स वग़ैरा का सिलसिला हो, इस से भी कई आ़शिक़ाने रसूल तक माहे रमज़ान के फ़र्ज़ रोज़ों और दीगर इ़बादात की दावत पहुंचेगी, मक्तबतुल मदीना के पेम्फ़लेट "रमज़ान में गुनाह करने वाले का भयानक अन्जाम" घर घर तक पहुंचाने की कोशिश करें, ज़हे नसीब ! हाथों हाथ इन आ़शिक़ाने रसूल को दावते इस्लामी के दीनी माह़ोल में होने वाले पूरे माहे रमज़ान या आख़िरी अ़शरे के एतिकाफ़ की भी दावत का सिलसिला जारी रहे ।
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد
प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! अह़ादीसे मुबारका में जा बजा मस्जिदों को आबाद करने वालों के लिए अ़ज़ीमुश्शान फ़ज़ाइल मज़कूर हुवे हैं । चुनान्चे, ह़ज़रते अनस बिन मालिक رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ फ़रमाते हैं : मैं ने नूर के पैकर, तमाम नबियों के सरवर صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم को फ़रमाते हुवे सुना :