Nafli Ibadat Ka Sawab

Book Name:Nafli Ibadat Ka Sawab

दूंगा । ٭ इजतिमाअ़ के बाद ख़ुद आगे बढ़ कर सलाम व मुसाफ़ह़ा और इनफ़िरादी कोशिश करूंगा ।

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!       صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! हमारे आज के हफ़्तावार सुन्नतों भरे इजतिमाअ़ का मौज़ूअ़ है "नफ़्ली इ़बादात का सवाब" जिस में हम नफ़्ली इ़बादात, ख़ुसूसन शाबानुल मुअ़ज़्ज़म के महीने में नफ़्ली इ़बादात के तअ़ल्लुक़ से सुनेंगे । पूरा बयान तवज्जोह के साथ सुनेंगे, तो बहुत बरकतें मिलेंगी । اِنْ شَآءَ اللّٰہ

नफ़्ली इ़बादात के फ़ज़ाइल

        आइए ! अपने अन्दर नफ़्ल इ़बादात का जज़्बा बेदार करने के लिए सब से पेहले नफ़्ली इ़बादात के चन्द फ़ज़ाइल सुनते हैं । चुनान्चे,

अल्लाह पाक का प्यारा बनने का नुस्ख़ा

          ह़ज़रते अबू हुरैरा رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ से मरवी है, ह़ुज़ूरे पाक صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم फ़रमाते हैं : अल्लाह पाक ने फ़रमाया : जो मेरे किसी वली से दुश्मनी करे, उसे मैं ने लड़ाई का एलान दे दिया और मेरा बन्दा जिन चीज़ों के ज़रीए़ मेरा क़ुर्ब चाहता है, उन में मुझे सब से ज़ियादा फ़राइज़ मह़बूब हैं और नवाफ़िल के ज़रीए़ क़ुर्ब ह़ासिल करता रेहता है, यहां तक कि मैं उसे अपना मह़बूब बना लेता हूं, अगर वोह मुझ से सुवाल करे, तो उसे ज़रूर दूंगा और पनाह मांगे, तो उसे ज़रूर पनाह दूंगा । (بخاری،۴/۲۴۸،حديث:۶۵۰۲)

सलातुल्लैल

        रात में बाद नमाज़े इ़शा जो नवाफ़िल पढ़े जाएं, उन को "सलातुल्लैल" केहते हैं और रात के नवाफ़िल, दिन के नवाफ़िल से अफ़्ज़ल हैं । चुनान्चे, "मुस्लिम शरीफ़" में है : रसूले अकरम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم ने इरशाद फ़रमाया : फ़र्ज़ों के बाद अफ़्ज़ल नमाज़, रात की नमाज़ है । (مُسلِم،ص۵۹۱ ،حدیث:۱۱۶۳)

          सलातुल्लैल की एक क़िस्म "तहज्जुद" है कि इ़शा के बाद रात में सो कर उठें और नवाफ़िल पढ़ें । सोने से क़ब्ल जो कुछ पढ़ें, वोह तहज्जुद नहीं । कम से कम तहज्जुद की दो रक्अ़तें हैं और ह़ुज़ूरे अक़्दस صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم से आठ तक साबित । (बहारे शरीअ़त, ह़िस्सा : 4, स. 26, 27)

          इस में क़िराअत का इख़्तियार है कि जो चाहें पढ़ें, बेहतर येह है कि जितना क़ुरआन याद है, वोह तमाम पढ़ लीजिए, वरना येह भी हो सकता है कि हर रक्अ़त में सूरए फ़ातिह़ा के बाद तीन तीन बार सूरतुल इख़्लास पढ़ लीजिए कि इस त़रह़ हर रक्अ़त में क़ुरआने करीम ख़त्म करने का